बच्चों को संक्रमित करने वाले शिगेला वायरस के कई राज सामने आए हैं। नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की टीम ने शिगेला संक्रमण बढ़ने के पीछे मुख्य कारणों का पता लगाया है, जिसके अनुसार तापमान 33 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने पर नियमित डायरिया (उल्टी व दस्त) के मामलों में 43 फीसदी तक वृद्धि देखी गई। इतना ही नहीं, अध्ययन में दिलचस्प बात यह है कि 33 डिग्री सेल्सियस से नीचे तापमान आने पर इस संक्रमण का जोखिम कम होने लगता है।
जानकारी के अनुसार, शिगेला संक्रमण को शिगेलोसिस भी कहा जाता है। यह एक प्रकार का आंतों का संक्रमण है, जो शिगेला नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। इसका मुख्य लक्षण दस्त है, जो अक्सर खूनी होता है। भारत में डायरिया के अधिकांश मामलों के लिए शिगेला संक्रमण जिम्मेदार होता है।
मेडिकल जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित अध्ययन में आईसीएमआर ने दावा किया कि जब वर्षा और मिट्टी की नमी का स्तर सामान्य से अधिक होने लगता है तो शिगेला संक्रमण का जोखिम 20% से ज्यादा पहुंच जाता है। यदि संक्रमण हल्का है तो आमतौर स्वच्छता के ध्यान रखने से एक सप्ताह के भीतर रोगी अपने आप सही हो जाता है, लेकिन संक्रामण अधिक हो जाता है तो उपचार की आवश्यकता होती है और इसके लिए डॉक्टर आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग करते हैं।