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धनबाद जज हत्या केस: सुराग देने वाले को सीबीआई देगी 5 लाख का इनाम, गुप्त रहेगी पहचान
jantaserishta.com
16 Aug 2021 1:05 AM GMT
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धनबाद. धनबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद (uttam anand) की बीते दिनों हत्या कर दी गई थी. इस मामले के बाद सीबीआई (CBI) ने इसकी जांच शुरू की. इसको लेकर सीबीआई ने धनबाद जज हत्याकांड के साजिशकर्ताओं के बारे में विश्वसनीय जानकारी देने वाले को 5 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है.
जानकारी के अनुसार धनबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश-8 उत्तम आनंद की 28 जुलाई को सुबह करीब 5 बजे धनबाद में सैर पर जाते टक्कर मारकर हत्या कर दी थी. सैर पर निकले उत्तम आनंद को एक ऑटो ने पीछे से आकर जोरदार टक्कर मारी थी, जिसके बाद उनकी मौत हो गई. यह पूरी वारदात घटना स्थल पर लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई थी. इस मामले की जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है.
धनबाद जज हत्याकांड मामले में सीबीआई पिछले कई दिनों से जांच कर रही है, लेकिन उसे हत्यारोपियों तक पहुंचने में सफलता नहीं मिली है. अब इस मामले में सीबीआई की ओर से बड़ी घोषणा करते हुए कहा गया है कि जो भी शख्स साजिशकर्ताओं की जानकारी देगा उसे सीबीआई 5 लाख रुपये इनाम देगी. सीबीआई ने पिछले दिनों ही एसआईटी की जांच के बाद धनबाद जज हत्याकांड मामले का जिम्मा संभाला था. सीबीआई ने जज उत्तम आनंद की हत्या मामले में 20 अधिकारियों की टीम गठित की थी.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने धनबाद के न्यायाधीश 49 वर्षीय उत्तम आनंद की वाहन की टक्कर से हुई मौत की जांच सीबीआई के हवाले करने का फैसला किया था. वहीं इस घटना का एक सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया था, जिसमें धनबाद के रणधीर वर्मा चौक के पास चौड़ी सड़क के किनारे वॉक करने जज उत्तम आनंद को पीछे आ रहे ऑटो रिक्शा ने सड़क खाली होने के बावजूद टक्कर मारी और वहां से फरार हो गया. इस घटना के बाद जज उत्तम आनंद को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था. मुख्य न्यायाधीश डॉ.रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की पीठ ने सीबीआई को मामले की जांच यथाशीघ्र करने का निर्देश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने 30 जुलाई को धनबाद के न्यायाधीश के 'दुखद निधन' पर स्वत: संज्ञान लेते हुए प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने झारखंड के मुख्य सचिव ओर पुलिस महानिदेशक से एक सप्ताह में मामले की जांच से संबंधित स्थिति रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया था. हांलाकि एसआईटी और सीबीआई की जांच के बावजूद अब तक कोई ठोस सबूत हाथ नहीं लग पाया है.
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