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डीजीपी हटाए गए, विभागीय कार्य में रुचि नहीं लेने का आरोप

Nilmani Pal
12 May 2022 12:48 AM GMT
डीजीपी हटाए गए, विभागीय कार्य में रुचि नहीं लेने का आरोप
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आदेश जारी

यूपी। उत्तर प्रदेश पुलिस की पिछले साल जून में कमान संभालने वाले डीजीपी मुकुल गोयल महज 11 महीने बाद ही हटा दिए गए. मुकुल गोयल को अब सिविल डिफेंस का डीजी बनाया गया है. यूपी सरकार ने मुकुल गोयल को डीजीपी के पद से हटाने के पीछे वजह भी बताई है. स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल को शासकीय कार्यों की अवहेलना करने, विभागीय कार्य में रुचि नहीं ले रहे थे. सरकार ने साफ बताया कि डीजीपी रहते हुए मुकुल गोयल पुलिसिंग में ध्यान नहीं दे रहे थे. सरकारी कामों की नजरअंदाजी कर रहे थे.

मुकुल गोयल ने जब पिछले साल पद संभाला था, तभी से विवाद शुरू हो गया था. दरअसल, पश्चिम उत्तर प्रदेश के अखबारों में एक ज्वेलरी शोरूम के मालिक ने बड़े-बड़े इश्तेहार देकर मुकुल गोयल को डीजीपी बनने की बधाई दे डाली. मेरठ, मुजफ्फरनगर, बरेली में तैनात रहे मुकुल गोयल के शुभचिंतकों के इस इश्तेहार ने विवाद की शुरुआत की. मुकुल गोयल का बतौर डीजीपी रहते दूसरा विवाद लखनऊ के पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर के साथ हुआ. 5 सितंबर 2021 को बतौर डीजीपी मुकुल गोयल पूरे लाव लश्कर के साथ हजरतगंज थाने पहुंच गए, थाने का निरीक्षण किया और निरीक्षण के दौरान ही उन्होंने इंस्पेक्टर हजरतगंज श्याम बाबू शुक्ला को हटाने का आदेश दे दिया. अचानक मीडिया के सामने डीजीपी के इस आदेश पर पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर भी हैरान थे, क्योंकि इंस्पेक्टर हजरतगंज श्याम बाबू शुक्ला कई दिनों से डेंगू से ग्रसित थे, गंभीर हालत में अस्पताल में इलाज करवे रहे थे, मुकुल गोयल को इंस्पेक्टर के बीमार होने की बात बताई गई. मामला मुख्यमंत्री तक गया. इसके बाद मुख्यमंत्री को निर्देश देना पड़ा कि मुख्यमंत्री कार्यालय या किसी भी बड़े अफसर को किसी भी मातहत को हटाने या पोस्ट करने का आदेश नहीं देना है.

3 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर के तिकुनिया में हुई हिंसा के बाद कानून व्यवस्था बिगड़ने लगी. हालात काबू में करने के लिए खुद एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार को मोर्चा संभालना पड़ा. 2 दिन तक प्रशांत कुमार ने लखीमपुर में कैम्प किया. प्रदेश के तमाम जिलों में प्रदर्शन शुरू हो गए लेकिन मुकुल गोयल ना तो लखीमपुर गए और ना ही किसी अन्य जिले में पुलिसिंग करते नजर आए.

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान भी मुकुल गोयल का रुख ठीक नहीं रहा. मुकुल गोयल पहले से ही समाजवादी पार्टी के खेमे के अफसर माने जाते रहे हैं. अखिलेश यादव की सरकार में लंबे समय तक मुकुल गोयल एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के पद पर भी रहे थे. चुनाव बीते तो सरकार ने बुलडोजर अभियान तेज किया. माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई को भी गति दी. लेकिन इस अभियान में भी मुकुल गोयल सक्रिय नहीं दिखे.

लखनऊ कमिश्नरेट के पुलिसिंग में हस्तक्षेप के बाद एक और विवाद पुलिसिंग से जुड़ा है. दरअसल, जिले के पुलिस कमिश्नर और ज्वाइंट कमिश्नर के बीच जब विवाद हुआ तो पुलिस कमिश्नर से मुकुल गोयल ने जवाब तलब कर लिया था, इस मामले ने भी शासन में खूब तूल पकड़ा. वहीं सोमवार और मंगलवार को मुकुल गोयल छुट्टी लेकर दिल्ली भी गए थे. बुधवार सुबह मुख्यमंत्री की बैठक में डीजीपी के तौर पर मुकुल गोयल शामिल भी हुए थे, लेकिन अचानक देर शाम मुकुल गोयल को हटाने का आदेश दे दिया गया.


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