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भक्तों को पूजा करने में होती थी परेशानी....तो मुसलमान कारोबारी ने मंदिर के लिए दान कर दी करोड़ों की जमीन

HARRY
9 Dec 2020 5:34 AM GMT
भक्तों को पूजा करने में होती थी परेशानी....तो मुसलमान कारोबारी ने मंदिर के लिए दान कर दी करोड़ों की जमीन
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इन दिनों जहां हिंदू और मुसलमानों के बीच सोशल मीडिया के जरिए नफरत फैलाई जा रही है वहीं कर्नाटक के बेंगलुरु में दोनों धर्मों के बीच सांप्रदायिक सद्भभाव बढ़ाने वाला मामला सामने आया है। यहां रहने वाले एक मुस्लिम शख्स ने एक मंदिर के लिए अपनी जमीन दान दे दी। छोटे से मंदिर में लोगों को पूजापाठ करने में परेशानी होती थी। अब मुसलमान की दान की हुई जमीन पर मंदिर का विस्तार किया जाएगा। आपको जानकर यह भी हैरानी होगी कि जो जमीन इस शख्स ने दान की है उसकी कीमत करोड़ों रुपये में है।

65 साल के एचएमजी बाशा कार्गो का व्यपार करते हैं। उनका घर काडूगोडी इलाके में है। बाशा के पास बेंगलुरु के मायलापुरा में करीब 3 एकड़ जमीन है। इस जमीन से सटे इलाके में एक प्राचीन हनुमान मंदिर बना है। लोगों की मान्यता है कि यह मंदिर बहुत प्राचीन है। सैकड़ों लोग मंदिर में पूजापाठ करने आते हैं।

यह हनुमान मंदिर बहुत छोटा है, जिससे लोगों की भीड़ होने पर दर्शन और पूजा करना बहुत मुश्किल हो जाता है। मंदिर कमिटी ने मंदिर के पुनर्निर्माण की योजना बनाई लेकिन उनके पास जमीन नहीं थी। जमीन बाशा के नाम पर थी इसलिए मंदिर का विस्तार नहीं हो सका।

मंदिर कमिटी ने कई बार बाशा से बात करने की सोची लेकिन उनकी हिम्मत नहीं पड़ी। आखिर हालही में बाशा ने जब मंदिर में लोगों को सकरे स्थान में पूजा करते हुए देखा और देखा कि किस तरह उन्हें परेशानी होती है तो खुद से मंदिर की जमीन दान देने की बात कमिटी से की। यह जमीन बेंगलुरु के ओल्ड मद्रास रोड पर है। कहा जाता है कि यह इलाका बहुत पॉश है। जमीन की लोकेशन भी मेन रोड में है इसके कारण इसकी कीमत करोड़ों रुपये बताई जा रही है। बाशा की दानवीरता देखकर हर कोई उनकी तारीफ कर रहा है। उनकी तारीफों के लिए मंदिर में और बाहर होर्डिंग, पोस्टर और बैनर लगाए गए हैं।

जमीन मिलते ही श्री वीरांजनेयास्वामी देवालय सेवा ट्रस्ट ने मंदिर का विस्तार शुरू कर दिया है। मंदिर के ट्रस्टी भायरे गौड़ा ने कहा कि एचएमजी बाशा ने मंदिर के निर्माण के लिए पूरे मन से भूमि दान की। मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है हम बहुत खुश हैं कि एक मुसलमान होते हुए भी बाशा ने मंदिर के लिए सोचा और अपनी जमीन दान की।


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