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उत्तर प्रदेश में आतंकी घटनाओं की जांच करने वाली एटीएस (UP ATS) बीते 14 सालों के उन नामों को खंगालेगी, जिनके बारे में गिरफ्तारी और जांच के दौरान जानकारी मिली थी. अब एटीएस नए सिरे से उनकी तलाश करेगी, जिनका जिक्र जांच और विवेचना में तो हुआ, लेकिन कभी सामने नहीं आ पाए.
साल 2007 में आतंकी घटनाओं की रोकथाम के लिए उत्तर प्रदेश में गठित की गई यूपी एटीएस ने बीते 14 साल में हूजी, लश्कर, सिमी के साथ-साथ ISIS के लिए जासूसी करने वाले तमाम लोगों को गिरफ्तार किया. गिरफ्तारी के दौरान हुई पूछताछ और जांच में कई ऐसे नाम सामने आए, जिनकी भूमिका तो बहुत अहम मानी गई, लेकिन या तो उन अनजान नामों पर एटीएस को आगे कोई जानकारी नहीं मिली या आगे ट्रेल नहीं मिली. फिर वो गुमनाम हो गए.
एटीएस ने 2007 से लेकर अब तक की गई सभी गिरफ्तारियों के दौरान हुई पूछताछ और विवेचना में सामने आए नामों के बारे में जानकारी इकट्ठा करना शुरू कर दिया है. उन सभी नाम और पते व अन्य जानकारियां खंगाली जा रही हैं. सभी का एक अलग डोजियर बनाया जा रहा है, ताकि इन 14 सालों में हुई विवेचना में एटीएस को जो नाम पता चले थे, वह कहीं किसी दूसरे मॉड्यूल से तो नहीं जुड़ रहे हैं.
'जो नाम सामने आए, उनके बारे में पता लगना बेहद जरूरी'
जांच एजेंसी का मानना है कि 14 सालों में एटीएस ने जिस तरह से उत्तर प्रदेश में हर आतंकी संगठन और उसके मददगारों पर कार्रवाई की है, उसमें जो नाम सामने आए, उनका भी पता लगना बेहद जरूरी है. जिस तरह से बीते कुछ सालों में आतंकी संगठनों ने सीमा पार से नौजवानों को बरगला कर घटनाओं को अंजाम देने की कोशिश की है, उसमें संभव है कि देश और प्रदेश का एक ही नौजवान कई मॉड्यूल से अलग-अलग नामों से जुड़ा हो.
जब विवेचना और पूछताछ में सामने आए किरदारों की असलियत फिर खंगाली जाएगी तो कई अहम और चौंकाने वाली जानकारियां भी मिल सकती हैं. केंद्रीय एजेंसियों की तर्ज पर यूपी एटीएस भी अब अपनी हर विवेचना और जानकारी में आए किरदारों पर नए सिरे से नजर रखने पर होमवर्क कर रही है.
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