मंडी के बावजूद दिल्ली एनसीआर के जिलों में बन रहे हैं सबसे ज्यादा घर: यूपी रेरा
एनसीआर नॉएडा न्यूज़: रियल एस्टेट सेक्टर में अच्छी खासी मंदी देखने को मिल रही है। इसके बावजूद दिल्ली-एनसीआर में शामिल उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद जैसे जिलों के लिए अच्छी खबर है। उत्तर प्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (UP RERA) ने मंगलवार को एक रिपोर्ट सार्वजनिक की है। जिसमें बताया है कि एनसीआर से बाहर वाले उत्तर प्रदेश के जिलों में ज्यादा हाउसिंग प्रोजेक्ट आ रहे हैं, लेकिन एनसीआर से ताल्लुक रखने वाले जिलों में हाउसिंग प्रोजेक्ट की संख्या कम होने के बावजूद उनमें बनने वाले फ्लैट की संख्या ज्यादा है। आपको बता दें कि पिछले महीने यूपी रेरा ने एक और रिपोर्ट सार्वजनिक की थी। जिसमें बताया गया था कि एनसीआर के जिलों में कम हाउसिंग प्रोजेक्ट रजिस्टर्ड हो रहे हैं। इस ताजा रिपोर्ट को पिछली रिपोर्ट का विश्लेषण मान सकते हैं।
अभी भी गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद और मेरठ सबसे आगे: यूपी रेरा से दी गई जानकारी के मुताबिक नॉन-एनसीआर जनपदों में आवासीय परियोजनाओं की संख्या ज्यादा होने के बाद भी यूनिट्स के मामलें में एनसीआर की परियोजनाएं ही आगे हैं। उत्तर प्रदेश रेरा में केवल सितम्बर माह में अभी तक की सर्वाधिक 36 परियोजनाएं पंजीकृत की गयी हैं। इन परियोजनाओं की कुल 8,116 यूनिटस में से 3,841 यूनिट्स यानी लगभग 47%, एनसीआर के 3 जिलों में बनेंगी। इनमें गाज़ियाबाद, गौतमबुद्ध नगर और मेरठ की 12 परियोजनाओं में यह घर बनाए जाएंगे। इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के नॉन-एनसीआर वाले 11 जिलों की 24 परियोजनाओं में 4,275 यूनिट्स बनेंगी, जो कुल यूनिट्स के लगभग 53% के बराबर हैं।
ज्यादा यूनिट्स वाली परियोजनाओं के कई कारण: नई परियोजनाओं का पंजीयन अनुपात एनसीआर और नॉन-एनसीआर में 35:65 होने बाद भी इनमें बनने वाली यूनिट्स का अनुपात 47:53 है। यह अनुपात एनसीआर की परियोजनाओं का प्रभुत्व प्रदर्शित करता है। एनसीआर में ज्यादा यूनिट्स वाली परियोजना होने के कई कारण हैं। इनमें फ्लोर एरिया रेश्यो (FAR), एनसीआर में रोजगार और व्यापार के बेहतर मौकों के कारण घर खरीदार अधिक हैं। एनसीआर में बसने की प्राथमिकता के कारण घरों की ज्यादा मांग है। इस मांग को पूरा करने के लिए बड़े क्षेत्रफल वाली हाउसिंग परियोजना लॉन्च हो रही हैं। इन हाउसिंग प्रोजेक्ट का आकार 10 से 20 एकड़ है। कई तो इससे भी ज्यादा भूमि पर बनने वाली परियोजनाएँ हैं। एनसीआर क्षेत्र में गाज़ियाबाद स्थित गौर ऐरो मॉल गौर ग्रुप का सबसे अधिक यूनिट्स वाली परियोजना है। इसमें 908 रियल एस्टेट इकाई बनाई जा रही हैं।
गौतमबुद्ध नगर में सबसे कम यूनिट्स वाली परियोजना: यूपी रेरा की रिपोर्ट के मुताबिक गाजियाबाद में गौर मॉल के बाद गौतमबुद्ध नगर स्थित महागुन की मेडालों में 746 यूनिट्स प्रस्तावित हैं। जबकि डीएलएफ ग्रुप का डीएलएफ टेकपार्क सबसे कम यूनिट्स ( केवल 35) वाली परियोजना हैं, जो गौतमबुद्ध नगर में स्थित है। नॉन-एनसीआर जिलों में कानपुर स्थित सबसे कम 10 यूनिट्स वाली परियोजना, चंडक बिल्डर्स एंड डेवलपर्स की आराधना एन्क्लेव भी रेरा में पजीकृत की गई है। यह उत्तर प्रदेश रेरा के बढ़ते नियामक या रेगुलेशन को भी दर्शाता है। रेरा अधिनियम 2016 लागू होने के बाद 500 वर्ग मीटर या 5,382 वर्ग फुट और 8 या इससे ज्यादा इकाई वाला कोई भी निर्माण, जो अधिसूचित योजना क्षेत्र के दायरे में आता है, उनका यूपी रेरा की वेबसाइट पर पंजीकृत होना अनिवार्य है।
आवश्यक सूचनाएं सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध: यह एक संयोग ही है कि नॉन-एनसीआर जिलों की सबसे अधिक 1152 यूनिट्स वाली परियोजना भी कानपुर में ही निर्मित की जानी है। यह पीएमएवाई (PMAY) के अन्तर्गत शताब्दी नगर में निर्मित की जाने वाली ईडब्लूएस (EWS) घर की परियोजना है। उ.प्र. रेरा की वेबसाइट पर परियोजना पंजीकरण से जुडी सभी आवश्यक पात्रता और जानकारियाँ "इम्पोर्टेन्ट सर्विसेज" ऑप्शन पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है। रियल एस्टेट परियोजना का पंजीकरण घर खरीदारों हेतु पारदर्शिता के साथ-साथ प्रोमोटरों की जवाबदेही के लिए भी जरुरी है। इस पूरी प्रक्रिया से परियोजना सम्बन्धी सम्पूर्ण जानकारियाँ एक जगह देखी जा सकती है। उनका समयबद्ध तरीके से निर्माण सुनिश्चित किया जा सकता है और विवादों को न्यूनतम करने में मदद मिलती है। वर्तमान में यूपी रेरा में 3300 से ज्यादा परियोजनाएं पंजीकृत है और इनसे जुडी सभी आवश्यक सूचनाएं सार्वजनिक तौर पर सबके लिए यूपी रेरा की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।