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कोरोना संक्रमित होने के बावजूद शख्स की RT-PCR रिपोर्ट आई निगेटिव, नए केस से स्वास्थ्य विभाग की बढ़ी चिंता

Admin2
15 July 2021 11:35 AM GMT
कोरोना संक्रमित होने के बावजूद शख्स की RT-PCR रिपोर्ट आई निगेटिव, नए केस से स्वास्थ्य विभाग की बढ़ी चिंता
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नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस के मामलों (Coronavirus Cases) में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. कुछ विशेषज्ञ इसे राहत की खबर बता रहे हैं तो कुछ का मानना है कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर की शुरुआत हो चुकी है. वहीं अब एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने हर किसी को हैरान कर दिया है. बेंगलुरु में ऐसे कई मामले देखे गए हैं जहां व्यक्ति के संक्रमित होने के बावजूद उसकी आरटी-पीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव दी गई है. बेंगलुरु में अब तक इस तरह के आठ मामले सामने आ चुके हैं. इन सभी आठ मरीजों को कोविड-19 के लक्षण (Covid-19 Symptoms) थे और उनकी हालत अस्पताल में भर्ती किए जाने वाली थी. इन लोगों का सीटी स्कैन किए जाने के बाद उनमें संक्रमण की पुष्टि हुई. वहीं इसमें से दो मरीजों की मौत भी हो गई.

कर्नाटक की कोविड-19 टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. सीएन मंजूनाथ ने इस सिलसिले में हुई बातचीत में टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि ये एक समूह में आए मामलों में से हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि जो लोग भी आरटी-पीसीआर टेस्ट में नेगेटिव पाए जाते हैं लेकिन उनमें रोगसूचक लक्षण होते हैं उन्हें सीटी स्कैन रिपोर्ट के बाद कोविड मरीजों की तरह की ट्रीट किया जाता है. राज्य में ऐसे 5-8 फीसदी मामले हैं. कभी कभी फिर से आरटी-पीसीआर टेस्ट करने से भी फायदा हो सकता है.

डॉक्टर्स का मानना है कि गलत आरटी-पीसीआर रिपोर्ट मरीजों को गुमराह कर सकती है क्योंकि वह कोविड-19 संक्रमण का पता लगाने के लिए इस पर काफी भरोसा करते हैं.

टेस्ट किट की क्वालिटी की भी अहम भूमिका

टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में सकरा वर्ल्ड में इंटरनल मेडिसिन और इंफेक्शियस डिसीज़ स्पेशलिस्ट सीनियर कंसल्टेंट डॉ. रघु ने कहा कि करीब 10-15 फीसदी मामलों में आरटी-पीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव देखी गई है. साथ ही उन्होंने इसके लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट किट की क्वालिटी को लेकर कहा कि नतीजों के लिए टेस्ट किट की क्वाटिली काफी अहम हो जाती है. डॉ. रघु ने कहा कि ऐसे में जो लोग टेस्ट में नेगेटिव पाए जाते हैं उन्हें सीटी स्कैन कराने की सलाह दी जाती है. डॉक्टरों का यह भी मानना है कि इसके लिए संक्रमित व्यक्ति के नमूने लेने का समय भी काफी अहम हो जाता है. डॉक्टर्स का मानना है कि अगर किसी व्यक्ति का स्वाब संक्रमण के नौ दिन बाद लिया जाता है या फिर नमूने लेने के लंबे समय तक उनकी जांच नहीं की जाती तब भी ऐसी स्थिति बन सकती है.

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