कोरोना के रौद्र रूप ने एक और परिवार को अपना शिकार बना लिया। कोरोना से जंग में दंपति को बचाने के लिए एक हफ्ते में 17 लाख रुपये फूंक दिए लेकिन उनकी जान नहीं बच सकी। शनिवार को एक साथ दंपति का दाह-संस्कार किया गया। दंपति की छह वर्ष की बेटी और डेढ़ वर्ष का बेटा भी संक्रमित है। उसी दुधमुंहे से माता-पिता को मुखाग्नि दिलाई गई तो घाट पर मौजूद लोग रो पड़े। शाहपुर क्षेत्र के शताब्दीपुरम कॉलोनी निवासी 37 वर्षीय अजय जायसवाल और उनकी पत्नी 35 वर्षीय अंशिका जायसवाल एक हफ्ते पहले कोरोना पॉजीटिव पाए गए थे। इसके बाद उनकी 6 वर्षीय बेटी गुनगुन और डेढ़ वर्षीय बेटे आनंद की रिपोर्ट भी पॉजीटिव आई।
बच्चों की स्थिति सामान्य होने के कारण उन्हें घर पर ही आइसोलेशन में रखा गया जबकि अजय और अंशिका को राजेन्द्र नगर स्थित एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। सीटी स्कैन में उनके सीने में 70 प्रतिशत संक्रमण पाया गया था। जिसके बाद वहां से उन्हें रेफर कर दिया गया था। 20 अप्रैल को विश्वविद्यालय के निकट स्थित एक अस्पताल में दाखिल कराया गया लेकिन हालत लगातार बिगड़ती गई। जांच रिपोर्ट को परिजनों ने अमेरिका के एक बड़े अस्पताल से भी परामर्श लिया था। स्थिति को गंभीर देखते हुए इलाज में पैसा पानी की तरह बहाया गया लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। शुक्रवार को दोपहर में 12:10 बजे पत्नी ने दम तोड़ा तो शाम 7 बजे अजय ने भी अंतिम सांस ली।
शनिवार को दंपति का दाह-संस्कार राजघाट पर हुआ। डेढ़ वर्ष के बेटे आनंद ने माता-पिता की चिता को मुखाग्नि दी। बेटा आनंद खुद भी संक्रमित है लेकिन पिता के दाह संस्कार के लिए उसे कोरोना प्रोटोकॉल के तहत राजघाट पर ले जाया गया। जब बच्चा अपने माता-पिता को मुखाग्नि दे रहा था तब मंजर देखकर कलेजा मुंह को आ जाए।
अजय जायसवाल यारों के यार थे। दोस्त भी उन पर जान छिड़कते थे। उनके बीमार होने के बाद से ही मित्र अप्पू, मनवीर सिंह, चन्द्रशेखर सिंह और आरती सिंह ने उन्हें बचाने की हर संभव कोशिश की। इधर-उधर से पैसे मैनेज करके दोस्तों ने डॉक्टरों को दिया ताकि किसी तरह जान बच जाए। लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था।