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दिल्ली में आज छाया घना कोहरा, विजिबिलिटी रही कम

Nilmani Pal
1 Feb 2022 2:48 AM GMT
दिल्ली में आज छाया घना कोहरा, विजिबिलिटी रही कम
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दिल्ली। साल 2019 में भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) की शुरुआत हुई थी. उसके तीन साल बाद प्रदूषण (Pollution) के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि लक्षित शहरों में प्रदूषण के स्तर में मामूली कमी आई है. एनसीएपी को 2024 तक प्रदूषण को 20-30% तक कम करने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया था, खासकर 132 शहरों में. लेकिन रिपोर्ट से यह पता चलता है कि पिछले कुछ वर्षों में मुंबई (Mumbai) जैसे कुछ शहरों में प्रदूषण बढ़ा है. महाराष्ट्र ने अपने 51 करोड़ रुपये में से 8% से भी कम का उपयोग किया है. आंकड़ों के अनुसार, मुंबई, नवी मुंबई और नासिक में 2019 से 2021 तक प्रदूषण के स्तर में वृद्धि देखी गई. एनसीएपी के तहत साल 2018-19 से 2020-2021 तक 114 शहरों को 375.44 करोड़ रुपये और 2021-2022 के लिए 82 शहरों को 290 करोड़ रुपये आवंटित किए गए.

वहीं 2021-2026 के लिए कुल 700 करोड़ रुपये का आवंटन है. हाल ही में एनसीएपी की नेशनल एपेक्स कमीटि में दिए गए डेटा से पता चलता है कि अधिकांश राज्यों ने आवंटित राशि का कम उपयोग किया है. केवल बिहार और चंडीगढ़ ने एनसीएपी के राशि का 76% और 81% उपयोग किया है. उत्तर प्रदेश समेत देश के कई सबसे प्रदूषित शहर ने आवंटित 60 करोड़ रुपये में से 16% का ही उपयोग किया है.

2019 में NCAP को किया गया लॉन्च

NCAP को 2019 में 102 शहरों में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए लॉन्च किया गया था. जिसमें बाद में 30 और शहरों को जोड़ा गया. इन 132 शहरों को गैर-प्राप्ति शहर कहा जाता है, क्योंकि वे राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम के तहत वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं करते थे. पीएम (पार्टिकुलेट मैटर) 2.5 और पीएम 10 के लिए देश की वर्तमान वार्षिक सुरक्षित सीमा 40 माइक्रोग्राम/प्रति घन मीटर (ug/m3) और 60 माइक्रोग्राम/प्रति घन मीटर है. NCAP ने 2017 में प्रदूषण के स्तर को आधार वर्ष मानते हुए 2024 तक प्रमुख वायु प्रदूषक PM 10 और PM 2.5 (अल्ट्रा-फाइन पार्टिकुलेट मैटर) को 20-30% तक कम करने का लक्ष्य रखा है.

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