भारत

डेंगू की सटीक दवा बनकर तैयार, वैज्ञानिकों ने ऐसे किया कमाल

jantaserishta.com
9 Oct 2021 10:03 AM GMT
डेंगू की सटीक दवा बनकर तैयार, वैज्ञानिकों ने ऐसे किया कमाल
x

नई दिल्ली: दुनिया के 40 करोड़ लोगों को हर साल संक्रमित और 25 हजार लोगों की जान लेने वाली बीमारी डेंगू (Dengue) की एक सटीक दवा बनकर तैयार है. उष्णकटिबंधीय इलाकों वाले देशों के लिए ये खबर राहत लेकर आई है. डेंगू एक वायरल बुखार है जिसकी वजह से लोगों को असहनीय दर्द होता है साथ ही स्थिति गंभीर होने पर मृत्यु भी हो सकती है. डेंगू को हड्डीतोड़ बुखार (Breakbone Fever) भी कहते हैं. क्योंकि इसमें हड्डियों में तेज दर्द होता है पीड़ित व्यक्ति बुखार से ग्रसित रहता है.

वैज्ञानिकों ने एक ऐसे कपाउंड की खोज की है जो डेंगू के वायरस को शरीर में फैलने से रोकता है. इस दवा का ट्रायल चूहों में किया गया. जो कि बेहद सफल रहा है. अब वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि जल्द ही इसे इंसानों पर भी परीक्षण किया जाएगा. सिंगापुर जनरल हॉस्पिटल में संक्रामक रोग विशेषज्ञ जेनी लो ने कहा कि इंसानी क्लीनिकल ट्रायल्स में अगर यह दवा सफल होती है तो इसे दुनियाभर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर बांटा जा सकता है. इससे विकासशील देशों में डेंगू जैसी बीमारी को रोकने में मदद मिलेगी.
डेंगू आमतौर पर एशिया और लैटिन अमेरिकी देशों में ज्यादा पाया जाता है. यह बीमारी चार तरह के वायरस या सीरोटाइप से होता है. ज्यादा खतरनाक सीरोटाइप होने पर शरीर के अंदर ब्लीडिंग होने लगती है और इंसान मारा जाता है. अभी तक डेंगू के लिए कोई खास दवा नहीं है. इसमें लोगों को अलग-अलग तरह की दवाइयों का मिश्रण बनाकर दिया जाता है. ताकि इंसान को राहत मिल सके और वह बीमारी से ठीक हो सके. चारों सीरोटाइप से बचाने के लिए कई दशकों से वैज्ञानिक और डॉक्टर स्टीमीड डेंगू वैक्सीन (Stymied Dengue Vaccine) विकसित करने में लगे हैं.
केयू ल्यूवेन नामक वैज्ञानिक संस्था के वायरोलॉजिस्ट जोहान नीट्स ने कहा कि चारों सीरोटाइप से संघर्ष करने वाली दवा खोजना भूसे के ढेर में सुई खोजने जैसा है. लेकिन अब एक ऐसा रसायन पता चला है जो चारों प्रकार के डेंगू सीरटाइप को नियंत्रित कर सकता है. डेंगू संक्रमण को रोक सकता है. डेंगू से होने वाली मौतों को रोक सकता है. जोहान नीट्स और उनकी टीम ने साल 2009 से हजारों एंटीडेंगू रसायनों की जांच करनी शुरु की. करीब 2000 रसायनों की जांच के बाद एक बेहतर कंपाउंड मिला. इसका नाम जेएनजे-ए07 (JNJ-A07) है.
जेएनजे-ए07 (JNJ-A07) ने सिर्फ डेंगू इलाज में बेहतरीन साबित हो सकता है बल्कि यह उम्दा प्रोफाइलेक्टिक (Prophylactic) भी है. यानी यह शरीर से वायरस की मात्रा तेजी से कम कर सकता है. यह स्टडी नेचर मैगजीन में प्रकाशित हुई है. चूहों पर किए गए परीक्षण में जेएनजे-ए07 (JNJ-A07) ने डेंगू के वायरस को काफी कम कर दिया था. यह एक सफल परीक्षण साबित हुआ. अब वैज्ञानिक इंसानों पर क्लीनिकल ट्रायल करने का प्रयास कर रहे हैं.
प्रयोगशालाओं में जांच करने के बाद पता चला कि जेएनजे-ए07 (JNJ-A07) वायरस के रेप्लिकेशन प्रक्रिया को रोकता है. डेंगू का वायरस अपने पांच प्रोटीन की बदौलत इंसानी कोशिका के अंदर खुद को रेप्लिकेट यानी तोड़ता है. नया वायरस बनाता है. जोहान नीट्स की स्टडी पर ड्यूक-एनयूएस मेडिकल स्कूल के वायरोलॉजिस्ट एंग ओंग ऊई ने कहा कि नीट्स का काम डेंगू के लिए ड्रग बनाने वाली कंपनियों के लिए मददगार साबित होगी. उन्होंने एक नया आयाम खोल दिया है.
फिलहाल जेएनजे-ए07 (JNJ-A07) दवा के साथ ही दिक्कत है. वो ये है कि डेंगू के लक्षण दिखने के कुछ दिन के अंदर ही यह दवा देनी होगी. ताकि वायरस रेप्लिकेट करने से पहले ही दवा की जकड़ में आ जाए. साथ ही यह दवा सामुदायिक स्तर पर डेंगू को फैलने से रोक सकती है. क्योंकि यह एक प्रोफाइलैक्टिक ड्रग है. यानी इस दवा का उपयोग करके इंसान डेंगू ग्रसित इलाके में घूम सकता है, उसे असर नहीं होगा तो भविष्य में अन्य स्थानों पर डेंगू का वायरस नहीं फैलेगा.
जेएनजे-ए07 (JNJ-A07) को लेकर जोहान नीट्स ने कहा कि दवा देने के साथ-साथ डॉक्टरों को इसके लिए जागरुकता अभियान भी चलाना होगा. अगर ज्यादा दिन इंतजार करेंगे तो ज्यादा नुकसान होगा. यह दवा अभी क्लीनिकल ट्रायल्स के दौर से गुजर रही है. लेकिन जोहान ने इसकी डिटेल्स देने से मना कर दिया. क्लीनिकल ट्रायल्स की अपडेट नवंबर में अमेरिकन सोसाइटी ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड हाइजीन के सामने दी जाएगी.
जोहान नीट्स ने कहा कि अभी वह यह भी नहीं बता पाएंगे कि दवा बाजार में कब आएगी. क्योंकि दशकों से दवा कंपनियां डेंगू जैसी बीमारियों के इलाज के लिए दवाएं बना रही हैं. वो किसी को भी इस दवा से संबंधित कोई भी जानकारी शेयर करना नहीं चाहते. हालांकि, दवा को लेकर भरोसा जताया है कि यह दवा डेंगू के इलाज में एक क्रांतिकारी कदम साबित होगी.
Next Story