वर्षा के कारण शहर में मच्छरों का प्रकोप तेज होता जा रहा है। डेंगू का डंक हर किसी को लग रहा है। शनिवार को स्वास्थ्य विभाग से जारी रिपोर्ट में फीलखाना की 33 वर्षीय महिला में डेंगू की पुष्टि हुई है। कई दिनों से बुखार की समस्या से ग्रसित महिला की जांच में डेंगू पाया गया। जिसके बाद परिवार और उस क्षेत्र लक्षणयुक्त मरीजों की जांच कर उनकी सैंपलिंग की जा रही है।
मलेरिया विभाग की ओर से शनिवार को डेंगू के चार और मलेरिया के 48 लक्षणयुक्त मरीजों की सैंपलिंग की गई है। सीएमओ डा. आलोक रंजन ने बताया कि शहर में डेंगू के हाट स्पाट क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। जलभराव वाले क्षेत्रों में मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। लार्वा को नष्ट करने के लिए मलेरिया विभाग की टीम को तैनात किया गया है।
शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्रों तेजी से बढ़ रहे पिंक आइ के मामले
कानपुर एलएलआर और उर्सला अस्पताल में पिंक आइ के ज्यादातर मामले ग्रामीण क्षेत्रों के आ रहे हैं। शुरुआती दिनों में शहर से ओपीडी में आने वाला हर दूसरा व्यक्ति पिंक आइ से ग्रसित मिल रहा था। अब ग्रामीण क्षेत्रों से नेत्ररोग ओपीडी में पहुंच रहा हर मरीज पिंक आइ से ग्रसित है। एलएलआर और उर्सला अस्पताल में शहर से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर मरीज पहुंच रहे हैं।
सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में प्रतिदिन आ रहे 80 प्रतिशत कंजक्टिवाइटिस के मरीज
सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में आने वाले 80 प्रतिशत कंजक्टिवाइटिस की समस्या लेकर ओपीडी में पहुंच रहे हैं। मौसम के बदलाव के कारण अस्पतालों में कंजक्टिवाइटिस नेत्र दोष से ग्रसित मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। शनिवार को एलएलआर और उर्सला अस्पताल की ओपीडी में करीब 700 मरीज में कंजक्टिवाइटिस की समस्या लेकर अस्पतालों में पहुंचे। ओपीडी में आंखों में लालपन, जलन, सुर्खी और संक्रमण की समस्या ज्यादातर ग्रामीणों में देखने को मिल रही है। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के नेत्र रोग विभागाध्यक्ष प्रो. शालिनी मोहन ने बताया कि कंजक्टिवाइटिस से शुरुआती दिनों में शहरी वर्ग के मरीज परेशान थे। अब ग्रामीण क्षेत्रों में इसका संक्रमण तेजी से फैल रहा है।
कंजक्टिवाइटिस में साफ-सफाई और जागरूकता जरूरी
ओपीडी में चौबेपुर, बिल्हौर, घाटमपुर क्षेत्र के गांव से मरीज बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। उन्होंने बताया कि कंजक्टिवाइटिस में साफ-सफाई और जागरूकता जरूरी है। शहरी वर्ग में लक्षण दिखने पर ज्यादातर लोगों ने सतर्कता शुरू कर दी थी। इसलिए अब यह धीरे-धीरे काबू हो रहा है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी के कारण इसका प्रसार अधिक हो रहा है।