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मांग तेज: मंदिरों में गैर हिन्दू दुकानदारों की 'बंदी', अब सड़कों पर लगाए जा रहे बैनर

jantaserishta.com
27 March 2022 2:28 AM GMT
मांग तेज: मंदिरों में गैर हिन्दू दुकानदारों की बंदी, अब सड़कों पर लगाए जा रहे बैनर
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बेगलुरु: कर्नाटक के उडुपी से मंदिर के समारोह में गैर-हिंदू कारोबारियों और दुकानदारों को एंट्री नहीं देने की मांग शुरू हुई है। अब यह मांग राज्य के अन्य हिस्सों में स्थित मंदिरों में आयोजित होने वाले वार्षिक मेलों और धार्मिक कार्यक्रमों के लिए भी की जाने लगी है। शुरुआत उडुपी जिले में आयोजित वार्षिक कौप मरीगुड़ी उत्सव से हुई जहां पर बैनर लगाए गए, जिसपर लिखा गया था कि गैर-हिंदू दुकानदारों और कारोबारियों को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इसी तरह के बैनर अब पद्बिदरी मंदिर उत्सव और दक्षिण कन्नड जिले के कुछ मंदिरों में भी लगाए गए हैं।

मारी गुडी मंदिर प्रबंधन ने इस संबंध में हिंदू संगठनों के अनुरोध पर गौर किया था। कुछ हिंदू कार्यकर्ताओं ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में अधिकारियों को ज्ञापन दिया है और कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान नियमवाली 2002 और धर्मार्थ व्यवस्था अधिनियम-1997 का हवाला दिया है। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की मैसुरु इकाई ने शनिवार को मुजारी (धर्मार्थ) विभाग के अधिकारियों को ज्ञापन दिया, जिसमें गैर-हिंदू कारोबारियों और व्यापारियों को मंदिरों में होने वाले वार्षिक उत्सव और धार्मिक कार्यक्रमों में प्रवेश नहीं देने की मांग की गई है। उन्होंने मैसुरु स्थित प्रसिद्ध चामुंडेश्वरी मंदिर के नजदीक मुस्लिम कारोबारियों को आवंटित दुकानों के मामले को भी देखने का अनुरोध किया है।
हिंदू कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह कदम मुस्लिमों द्वारा हिजाब पर कर्नाटक उच्च न्यायालय के आए फैसले के खिलाफ बंद का समर्थन करने का जवाब है। उन्होंने कहा कि यह उनका देश के कानून और भारत की न्याय प्रणाली के प्रति असम्मान दिखाता है। सूत्रों ने बताया कि हिंदू मंदिरों के कार्यक्रमों में गैर-हिंदू कारोबारियों को रोकने के लिए इसी तरह के ज्ञापन मांड्या, शिमोगा, चिक्कमगलुरु, तुमकुरु, हासन और अन्य स्थानों पर दिए गए हैं और बैनर लगाए गए हैं।
हाल में जब विधानभा में यह मुद्दा आया था तो भाजपा सरकार ने पूरे मामले से दूरी बनाते हुए नियम का हवाला दिया था कि हिंदू धार्मिक संस्थानों के पास जमीन या इमारत सहित संपत्ति गैर हिंदुओं को लीज पर नहीं दी जा सकती। हालांकि, स्पष्ट किया कि इसके अंतर्गत मंदिर परिसर के बाहर रेहड़ी वाले नहीं आते हैं।

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