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जातिगत जनगणना (Caste based Census) के मुद्दे पर सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के नेतृत्व में 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) से मुलाकात की और देश में जातिगत जनगणना कराने की मांग उठाई. नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले इस प्रतिनिधिमंडल में बीजेपी (BJP) की तरफ से मंत्री जनक राम भी मौजूद रहे.
देश में जातिगत जनगणना के मुद्दे पर अब बिहार बीजेपी के बड़े-बड़े नेताओं ने भी अपनी आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी है जिसमें पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी और मौजूदा उपमुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद शामिल हैं, मगर इस मुद्दे को लेकर बीजेपी में दो फाड़ साफ तौर पर नजर आ रहा है. अगर एक तरफ सुशील मोदी और तार किशोर प्रसाद देश में जातिगत जनगणना के समर्थन में बोल रहे हैं तो वहीं बीजेपी के विधान पार्षद संजय पासवान और बीजेपी विधायक हरी भूषण ठाकुर देश में जातिगत जनगणना कराने के मुद्दे को सिरे से खारिज कर दिया है.
बीजेपी विधान पार्षद संजय पासवान ने कहा कि जातिगत जनगणना के मुद्दे पर उनका रुख वही है जो उन्होंने विधान परिषद में चर्चा के दौरान रखा था, यानी कि संजय पासवान देश में जातिगत जनगणना के पक्ष में नहीं है बल्कि उनकी मांग है कि देश में आर्थिक आधार पर जनगणना होनी चाहिए. वहीं, जातिगत जनगणना के मुद्दे पर हरिशंकर ठाकुर ने बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान कहा था "जनगणना पुराने तरीके से होनी चाहिए. देश में जातिगत जनगणना की कोई आवश्यकता नहीं है".
गौरतलब है कि केंद्र सरकार के द्वारा संसद के मानसून सत्र के दौरान यह स्पष्ट कर दिया गया था कि फिलहाल केंद्र की जातिगत जनगणना कराने की कोई मंशा नहीं है. केंद्र के इस रुख के बाद 2019 और 2020 में जातिगत जनगणना के प्रस्ताव को बिहार विधानमंडल में पास करने के दौरान समर्थन देने वाली बीजेपी ने भी यू टर्न ले लिया.
अब ऐसा लगता है कि बीजेपी को भी एहसास हो गया है कि जातिगत जनगणना का विरोध करना उसके लिए आने वाले दिनों में नुकसानदायक हो सकता है और बीजेपी की छवि देश में पिछड़ी जाति के विरोधी के तौर पर बन सकती है. यही वजह है कि बिहार बीजेपी के लिए अब बड़े नेताओं ने जातिगत जनगणना की मांग का समर्थन करना शुरू कर दिया है.
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