26 जनवरी को दिल्ली में हुए उपद्रव के दौरान एक व्यक्ति की मौत को लेकर गलत जानकारी देने वाले कांग्रेस सांसद शशि थरूर और पत्रकार राजदीप सरदेसाई फिलहाल गिरफ्तार नहीं होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कुल 7 लोगों की गिरफ्तारी पर आज रोक लगा दी. यूपी और दूसरे राज्यों में दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग पर कोर्ट ने नोटिस जारी किया.
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 2 हफ्ते बात करने की बात कही है. कोर्ट ने आज जिन लोगों को राहत दी उन्होंने 26 जनवरी को ट्रैक्टर पलटने से मरे एक प्रदर्शनकारी को पुलिस की गोली लगने से मरा बताते हुए ट्वीट किया था. उपद्रव और तनाव के माहौल में बिना पुष्टि किए गलत जानकारी लोगों तक पहुंचाने को हिंसा भड़काने की कोशिश की तरह देखते हुए इन लोगों के खिलाफ यूपी, दिल्ली, मध्य प्रदेश और कुछ दूसरे राज्यों में एफआईआर दर्ज हुई है.
इस मामले में शशि थरूर, राजदीप सरदेसाई, मृणाल पांडे, अनंत नाथ, परेश नाथ, विनोद के जोस और जफर आगा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इन्होंने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हनन बताया था. इन लोगों का कहना था कि उन्हें जैसे ही पता चला कि प्रदर्शनकारी की मौत को लेकर उन्हें पहले मिली जानकारी गलत थी, उन्होंने तुरंत अपने ट्वीट को डिलीट किया. लोगों तक सही जानकारी पहुंचा दी. इसके बावजूद उन्हें हिंसा भड़काने की साजिश रचने वाला बताया जा रहा है. याचिकाकर्ताओं की मांग थी कि मामले में दर्ज सभी एफआईआर रद्द की जानी चाहिए.
याचिकाकर्ताओं ने पत्रकार अर्णब गोस्वामी को जमानत देते वक्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कही गई बातों का भी हवाला भी अपनी याचिका में दिया था. चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका को स्वीकार करते हुए उन पर नोटिस जारी कर दिया. इसके बाद वकील कपिल सिब्बल ने गिरफ्तारी पर रोक की मांग भी रख दी.