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दिल्ली हिंसा केस: जब अदालत में वकील बोले- पुलिस के पास कोई पुख्ता सबूत नहीं

jantaserishta.com
17 Feb 2022 3:23 AM GMT
दिल्ली हिंसा केस: जब अदालत में वकील बोले- पुलिस के पास कोई पुख्ता सबूत नहीं
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नई दिल्ली: दिल्ली (Delhi) के कड़कड़डूमा कोर्ट (Karkardooma Court) के एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने बुधवार को दिल्ली हिंसा (Northeast Delhi violence) के आरोपित खालिद सैफी (Khalid Saifi) की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. दूसरी तरफ कोर्ट ने उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई टाल दी. अब उमर खालिद की जमानत याचिका पर 18 फरवरी को सुनवाई होगी. खालिद सैफी के वकील रेबेका जॉन ने कहा कि अभियोजन पक्ष का ये कहना है कि नागरिकता संशोधन कानून के लोकसभा में पारित होने के बाद खालिद सैफी का जंतर-मंतर पर जाना एक साजिश का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि जंतर-मंतर एक विरोध स्थल है. जहां लोग अपना विरोध जताने जाते हैं.

उन्होंने कहा कि अभियोजन के पास इस बात के पुख्ता सबूत नहीं हैं कि खालिद सैफी 2019 में उमर खालिद से मिला था या उमर खालिद ने सैफी से खुरेजी में विरोध प्रदर्शन करने के लिए कहा था. रेबेका जॉन ने खालिद सैफी के मैसेज का स्क्रीन शॉट शेयर किया जिसमें लिखा था कि दिल्ली हिंसा के लिए पुलिस जिम्मेदार है और दिल्ली के मुख्यमंत्री को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए. प्रदर्शन उनके आवास के सामने होने चाहिए. रेबेका जॉन ने कहा कि खालिद सैफी के मैसेज से केवल ये पता चलता है कि उसने कहा कि दिल्ली पुलिस हिंसा को काबू करने में नाकाम रही और इसकी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए.
दिल्ली पुलिस ने कहा था इस मामले में हुई टेरर फंडिंग
3 फरवरी को दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हिंसा के आरोपी उमर खालिद समेत दूसरे आरोपियों की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि इस मामले में टेरर फंडिंग हुई थी. स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा कि इस मामले के आरोपी ताहिर हुसैन ने काला धन को सफेद किया था. वहीं 2 फरवरी को दिल्ली पुलिस ने कहा था कि प्रदर्शन स्थलों पर हिंसा की योजना की साजिश रची गई, जिससे आंदोलनों में जुटे स्थानीय लोगों का कोई लेना-देना नहीं थी.
बाहर से आए लोगों ने दिया था हिंसा की योजना को अंजाम
सुनवाई के दौरान अमित प्रसाद ने कहा था कि प्रदर्शन स्थलों पर बाहर से आए लोगों ने हिंसा की योजना को अंजाम दिया था. अब ये स्थानीय लोग अभियोजन की मदद कर रहे हैं. अमित प्रसाद ने कहा था कि 22 फरवरी, 2020 को हिंसा शुरू नहीं हुई थी. उस समय आरोपितों की गतिविधियां जारी थीं. उसमें स्थानीय लोग शामिल नहीं किए गए. बता दें कि उमर खालिद को 13 सितंबर 2020 को पूछताछ के बाद स्पेशल सेल ने गिरफ्तार कर लिया था. 17 सितंबर 2020 को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की ओर से दायर चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. 16 सितंबर 2020 को स्पेशल सेल ने चार्जशीट दाखिल की थी.
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