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दंग केस: अदालत की सख्त टिप्पणी, घिरी पुलिस, जानिए क्या कहा ऐसा?
jantaserishta.com
30 Aug 2021 2:48 AM GMT
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नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के खिलाफ आंदोलन के दौरान दिल्ली में हिंसा भड़क उठी थी. फरवरी 2020 में सीएए और एनआरसी के खिलाफ आंदोलन करने वालों और आंदोलन का विरोध करने वालों के बीच भड़की हिंसा में 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी जबकि करीब 700 लोग घायल हो गए थे. दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली हिंसा की जांच को लेकर सख्त टिप्पणी की है.
कोर्ट ने कहा है कि नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में साल 2020 की हिंसा के मामले में जांच का स्तर बहुत खराब है. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के कमिश्नर से जरूरी कदम उठाने के लिए भी कहा है. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक एडिशनल सेशन जज विनोद यादव ने यह टिप्पणी 25 फरवरी को पुलिसकर्मियों पर एसिड, शीशे की बोतल और ईंट से हमले के मामले में आरोप तय करते हुए की.
एडिशनल सेशन जज ने 28 अगस्त को कहा कि यह देखना दुखद है कि बड़ी संख्या में इन मामलों की जांच का स्तर बहुत खराब है. उन्होंने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि पुलिस आधी-अधूरी चार्जशीट दायर करने के बाद जांच को तार्किक अंत तक ले जाने की कोशिश शायद ही करती है. इसकी वजह से कई मामलों में नामजद आरोपी जेल में बंद ही रहते हैं. ये मामला इसका ज्वलंत उदाहरण है.
एडिशनल सेशन जज ने कहा कि इस मामले में खुद एक पुलिसकर्मी ही पीड़ित है फिर भी जांच अधिकारी ने एसिड का नमूना एकत्र करने और उसका रासायनिक विश्लेषण करने की जहमत नहीं उठाई. जांच अधिकारी ने चोट की प्रकृति के संबंध में राय लेना भी उचित नहीं समझा. उन्होंने कहा कि हिंसा के मामलों में जांच अधिकारी बहस के लिए ब्रीफ नहीं कर रहे और सुनवाई की सुबह उन्हें चार्जशीट का पीडीएफ ई-मेल कर रहे.
एडिशनल सेशन जज ने दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को इस दिशा में जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए और कहा कि नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के डीसीपी और अन्य अधिकारी उनकी टिप्पणियों पर ध्यान दें. एडिशनल सेशन जज ने कहा कि वे इस संबंध में विशेषज्ञों की सहायता लेने के लिए स्वतंत्र हैं. ऐसा न करने पर इन मामलों से संबंधित लोगों के साथ अन्याय होने की आशंका है.
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