दिल्ली। राजधानी दिल्ली में हर साल ही जाड़े के समय भारी प्रदूषण का सामना करना पड़ता है। प्रदूषण की रोकथाम के लिए स्कूल-कॉलेज और निर्माण कार्यों पर पाबंदी तक लगानी पड़ती है। इस साल तीन दिन पहले ही प्रदूषण की सटीक भविष्यवाणी करने की तैयारी है। ताकि, इसी अनुसार पहले से एहतियाती कदम उठाए जा सकें।
प्रदूषण का स्तर कितना बढ़ या घट सकता है, इसका पता लगाने के लिए सफर ने नया मॉडल तैयार किया है। सफर के संस्थापक परियोजना निदेशक डॉ. गुफरान बेग ने बताया कि सिस्टम को पहले की तुलना में काफी सुधारा गया है। डॉ. बेग के मुताबिक इसमें पराली को लेकर उपग्रह से मिलने वाले डाटा काफी महत्वपूर्ण होगा। इससे पता चलेगा कि कहां-कहां धान की कटाई हो चुकी है और कितने दिन में पराली जल सकती है। स्थानीय स्तर से भी यह जानकारी मिलेगी की पंजाब और हरियाणा के किन-किन इलाकों में धान की कटाई किस दौर में है।
काउंसिल ऑन एनर्जी, एंवायरमेंट एंड वॉटर के विश्लेषण के मुताबिक 15 अक्तूबर से 15 जनवरी तक 75 फीसदी दिनों में हवा सांस लेने लायक नहीं रहती है। तीन सालों में इस अवधि के दौरान ज्यादातर समय हवा बेहद खराब श्रेणी में रही। आपको बता दें कि 201 से 300 तक के वायु गुणवत्ता सूचकांक को खराब श्रेणी में, 301 से 400 तक के सूचकांक को बेहद खराब श्रेणी में और 401 से ऊपर के सूचकांक को गंभीर श्रेणी में रखा जाता है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के मुताबिक वर्ष 2021 में 15 सितंबर से 30 नवंबर के बीच 71 हजार 300 से ज्यादा जगहों पर पराली जलाई गई थी।