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दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनाया फैसला, कहा- वादा निभाएं सीएम, असमर्थ दिहाड़ी मजदूरों का चुकाएं बकाया किराया
Deepa Sahu
22 July 2021 2:48 PM GMT
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दिल्ली HC ने एक अहम फैसले में कहा है कि सूबे के मुख्यमंत्री (CM) की ओर से किया गया वादा, लोगों को दिया आश्वासन अमल में लाया ही जाना चाहिए.
दिल्ली HC ने एक अहम फैसले में कहा है कि सूबे के मुख्यमंत्री (CM) की ओर से किया गया वादा, लोगों को दिया आश्वासन अमल में लाया ही जाना चाहिए. ऐसे में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Chief Minister Arvind Kejriwal) के पिछले साल 29 मार्च को प्रेस कॉन्फ्रेंस (Press conference) में किये गए उस वादे को पूरा करना चाहिए, जिसमे उन्होंने कहा था कि जो लोग किराए चुकाने में असमर्थ है, उनका किराया दिल्ली सरकार भरेगी. कोर्ट ने कहा कि अच्छी सरकार से उम्मीद की जाती है कि उनकी ओर से किया गए वादा बिना पुख्ता वजह के ना तोड़ा जाए.
कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा है कि वो वायदे को पूरा करने के लिए 6 हफ्ते में पॉलिसी बनाये. दरअसल दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) में किराया चुकाने में असमर्थ कुछ दिहाड़ी मज़दूरो और एक मकान मालिक ने केजरीवाल की पिछले साल 29 मार्च को की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस का हवाला देते हुए याचिका दायर की थी.
मामले में दिए गए फैसले में एकल-न्यायाधीश जस्टिस प्रतिभा (Justice Pratibha) एम सिंह ने आदेश दिया कि दिल्ली सरकार 29 मार्च, 2020 की अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Chief Minister Arvind Kejriwal) द्वारा दिए गए आश्वासन से बाध्य है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर कोई किरायेदार किराए का भुगतान करने में असमर्थ है तो दिल्ली सरकार गरीबों की ओर से किराए का भुगतान करेगी.
कोर्ट ने फैसला सुनाया कि मुख्यमंत्री द्वारा दिया गया आश्वासन या वादा वचन-बंधन के सिद्धांतों और वैध अपेक्षाओं दोनों के आधार पर है. अदालत की राय है कि सीएम द्वारा किया गया वादा, आश्वासन या प्रतिनिधि स्पष्ट रूप से लागू करने योग्य वादे के बराबर है, जिसके कार्यान्वयन पर सरकार द्वारा विचार किया जाना चाहिए.
आश्वासन को पूरा करने के लिए बनाए नीति
कोर्ट ने कहा कि नागरिकों से किए जाने वाले वादे वैध और न्यायोचित कारणों के बिना नहीं टूटने चाहिए. ऐसे में कोर्ट दिल्ली सरकार को सीएम द्वारा दिए गए आश्वासन को पूरा करने के लिए नीति बनाने के लिए कदम उठाने का आदेश देती है. कोर्ट ने कहा कि GNCTD, मुख्यमंत्री द्वारा 29 मार्च, 2020 को जमींदारों और किरायेदारों को दिए गए बयान से संबंधित वादे को 6 सप्ताह की अवधि के भीतर इसे लागू करने का निर्णय लेगा.
यह निर्णय उन व्यक्तियों के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए लिया जाएगा, जिन्हें उक्त बयान में लाभ देने का इरादा था. HC ने एक जनहित याचिका पर निर्णय पारित किया है, जिसमें याचिकाकर्ता के तौर पर दैनिक वेतन भोगी मजदूर शामिल थे. उन्होंने दावा किया था कि ये वे किरायेदार हैं जो COVID-19 आर्थिक मंदी के बाद अपने किराए का भुगतान करने में असमर्थ हैं.
मकान मालिक को नहीं मिल रहा मासिक किराया
याचिकाकर्ताओं में से एक मकान मालिक था, जिसने दावा किया था कि उसे उसका मासिक किराया नहीं मिल रहा है. याचिकाकर्ताओं ने 29 मार्च, 2020 को केजरीवाल द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस पर भरोसा किया. प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने सभी मकान मालिकों से अनुरोध किया था कि वे उन किराएदारों से किराए की मांग ना करें, जो गरीब और गरीबी से त्रस्त हैं. मकान मालिकों से अपने किरायेदारों से बात करने और किराए के संग्रह को स्थगित करने का अनुरोध करते हुए सीएम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट वादा किया था कि यदि कोई किरायेदार गरीबी के कारण किराए का भुगतान करने में असमर्थ है, तो सरकार उसके किराए का भुगतान करेगी.
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