दंपति 2012 में शादी के बंधन में बंधे थे लेकिन 2017 में पत्नी ने आरोप लगाया कि पति ने शादी छोड़ दी है। उसने क्रूरता और परित्याग के आधार पर तलाक के लिए याचिका दायर की। महिला ने आरोप लगाया कि उसे जुलाई 2021 में एक पुराना फोन मिला जिसमें उसके पति और एक दूसरी महिला के बीच बातचीत की बात पता चली। यह बातचीत शादी के कुछ समय बाद की है। फिर उसने विवाहेतर संबंध का आरोप लगाते हुए दिसंबर 2021 में तलाक के लिए दूसरी याचिका दायर की, जो अभी भी पारिवारिक अदालत में लंबित है।
फिर उसे पता चला कि 15 से 20 अगस्त 2020 तक उसका पति गोवा के एक होटल में एक अन्य महिला के साथ रुका था। इसके बाद उसने संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष एक आवेदन देकर 27 अक्टूबर 2019 से 27 अक्टूबर 2022 के बीच टॉवर प्रॉक्सिमिटी के साथ पति के मोबाइल फोन नंबर के कॉल डिटेल रिकॉर्ड उपलब्ध कराने की मांग की। यह कहते हुए कि इसका नोटिस पति को दिया जाना था, मजिस्ट्रेट ने महिला के आवेदन को खारिज कर दिया। बाद में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने भी इस फैसले को बरकरार रखा।
अब, दोनों आदेशों को चुनौती देते हुए पत्नी ने उच्च न्यायालय का रुख किया और होटल के दस्तावेज और अभिलेखों की एकपक्षीय मांग और संरक्षण का अनुरोध करते हुए आवेदन दायर किया। यह देखते हुए कि पत्नी की याचिका केवल तीसरे पक्ष को महत्वपूर्ण साक्ष्य को संरक्षित करने के लिए निर्देशित करने के लिए थी, ताकि मुकदमे के साक्ष्य के नष्ट न हों, अदालत ने उसे राहत दी और सब कुछ सुरक्षित रखने का निर्देश दिया। उच्च न्यायालय ने कहा, यह अदालत यह स्पष्ट करती है कि यह आदेश केवल रिकॉर्ड के संरक्षण के उद्देश्य से पारित किया जा रहा है ताकि मुकदमे के उचित चरण तक पहुंचने से पहले समय के साथ ये नष्ट न हों। यदि ट्रायल कोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि उसे किसी भी पक्ष द्वारा पेश किया जाना चाहिए तो ऐसा नहीं माना जाना चाहिए कि इस अदालत ने उनमें से किसी को ऐसा करने का अधिकार दिया है। अदालत ने कहा, संबंधित अदालत किसी भी उद्देश्य के लिए इन दस्तावेजों और रिकॉर्ड को ट्रायल कोर्ट में पेश करने के लिए और दूसरे पक्ष की सुनवाई के बाद संबंधित पक्षों द्वारा दायर किए गए आवेदन पर नोटिस जारी करेगी। अदालत ऐसे दस्तावेजों को पेश करने के लिए आवेदन को कानून के अनुसार उसके गुण-दोष के आधार पर तय करेगी।