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दिल्ली HC ने रामदेव के खिलाफ याचिका पर 18 अगस्त तक टाली सुनवाई, जवाब दर्ज कराने का निर्देश

Kunti Dhruw
16 Aug 2021 10:26 AM GMT
दिल्ली HC ने रामदेव के खिलाफ याचिका पर 18 अगस्त तक टाली सुनवाई, जवाब दर्ज कराने का निर्देश
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योग गुरु बाबा रामदेव (Yoga Guru Baba Ramdev) के खिलाफ एलोपैथी पर आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई 18 अगस्त तक टाल दी है.

योग गुरु बाबा रामदेव (Yoga Guru Baba Ramdev) के खिलाफ एलोपैथी पर आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई 18 अगस्त तक टाल दी है. अदालत ने प्रतिवादियों को 24 घंटे के भीतर अपने जवाब दर्ज कराने का निर्देश दिया है. दरअसल मामला एलोपैथी को लेकर कथित रूप से गलत सूचना फैलाने से जुड़ा हुआ है. इस मामले में सात डॉक्टर संघों ने बाबा रामदेव के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी.

कोर्ट के समक्ष याचिका दायर करने वाले डॉक्टरों के संघों में तीन रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, ऋषिकेश, पटना और भुवनेश्वर, एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स, पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, चंडीगढ़, यूनियन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स ऑफ पंजाब (यूआरडीपी), रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन, लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, मेरठ और तेलंगाना जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन, हैदराबाद शामिल हैं.
बाबा रामदेव पर याचिकाकर्ताओं का आरोप
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि बाबा रामदेव बड़े पैमाने पर जनता को गुमराह कर रहे थे. वह गलत तरीके से पेश कर रहे थे कि एलोपैथी कोरोना से संक्रमित कई लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार थी. यह कहते हुए कि एलोपैथिक डॉक्टर मरीजों की मौत का कारण बन रहे थे. अपनी याचिका में संघों ने कहा है कि योग गुरु न केवल एलोपैथिक उपचारों बल्कि कोरोना टीकों की सुरक्षा और प्रभावकारिता के संबंध में आम जनता के मन में संदेह पैदा कर रहे थे.
संघों ने आरोप लगाया कि गलत सूचना अभियान और रामदेव द्वारा बेचे गए उत्पाद की बिक्री को आगे बढ़ाने के लिए एक विज्ञापन और रणनीति थी, जिसमें कोरोनिल भी शामिल है, जो कोरोना के लिए एक वैकल्पिक उपचार होने का दावा करता है. उन्होंने कहा कि रामदेव के निरंतर गलत सूचना अभियान को रोक दिया जाए.
कोर्ट ने एलोपैथिक दवाओं के खिलाफ कथित बयानों और पतंजलि की कोरोनिल किट के दावों के संबंध में दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर तीन जून को रामदेव को समन जारी किया था. कोर्ट ने उस समय रामदेव को रोकने से इनकार करते हुए कहा था कि एलोपैथिक पेशा इतना नाजुक नहीं है. हालांकि, मौखिक रूप से रामदेव के वकील से कहा था कि वह उन्हें भड़काऊ बयान देने से मना करें.
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