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Delhi: प्राइवेट डीलरों के शराब बिक्री लाइसेंस की अवधि बढ़ाने की मांग खारिज, SC ने दखल देने से किया इन्कार

Deepa Sahu
1 Oct 2021 5:22 PM GMT
Delhi: प्राइवेट डीलरों के शराब बिक्री लाइसेंस की अवधि बढ़ाने की मांग खारिज, SC ने दखल देने से किया इन्कार
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दिल्ली में अभी तक शराब की रिटेल दुकान चलाने वाले प्राइवेट लाइसेंस डीलरों को सुप्रीम कोर्ट से शुक्रवार को निराशा हाथ लगी।

नई दिल्ली, दिल्ली में अभी तक शराब की रिटेल दुकान चलाने वाले प्राइवेट लाइसेंस डीलरों को सुप्रीम कोर्ट से शुक्रवार को निराशा हाथ लगी। सुप्रीम कोर्ट ने दो श्रेणी के लाइसेंसों को 16 नवंबर तक जारी रखने की उनकी मांग खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि वह मामले में दखल नहीं देगा। ये आदेश जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने प्राइवेट डीलरों की ओर से दाखिल याचिका खारिज करते हुए दिए।

दिल्ली में नई एक्साइज पालिसी (आबकारी नीति) 17 नवंबर से लागू हो रही है। इस बीच 30 सितंबर से दिल्ली के सभी प्राइवेट डीलरों के लाइसेंस समाप्त कर दिए गए हैं। 30 सितंबर से दिल्ली में शराब की सभी प्राइवेट दुकानें बंद हो गई हैं। सिर्फ सरकारी दुकानें ही चालू रहेंगी और 17 नवंबर से नई एक्साइज नीति के तहत लाइसेंस पाने वाले प्राइवेट डीलरों की दुकानें चलेंगी। 30 तारीख से सभी प्राइवेट दुकानें बंद होने के खिलाफ कुछ प्राइवेट डीलरों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
याचिकाकर्ता प्राइवेट डीलरों की मांग थी कि 17 नवंबर से नई एक्साइज पालिसी लागू होने तक उनके लाइसेंस भी जारी रखे जाएं जो 30 सितंबर को खत्म हो गए हैं। उनका कहना था कि कोर्ट 16 नवंबर तक दो श्रेणी के लाइसेंसों एल-7 और एल-10 को जारी रखने के आदेश दे दे क्योंकि दिल्ली सरकार ने सिर्फ इन्हीं दो श्रेणियों के लाइसेंस खत्म किए हैं। एल-7 लाइसेंस देसी शराब की दुकान का होता है और एल-10 लाइसेंस देसी और विदेशी दोनों शराब की बिक्री के लिए होता है।
शुक्रवार को याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह और सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि त्योहारी सीजन को देखते हुए उनके लाइसेंस की अवधि भी 16 नवंबर तक बढ़ा दी जाए इसके लिए वे सरकार को जो शुल्क होगा, देने को तैयार हैं। उनकी यह भी दलील थी कि प्राइवेट डीलर दिल्ली में 60 फीसद शराब बेचते हैं, अचानक सभी प्राइवेट दुकानें बंद होने से कमी और मुश्किल हो जाएगी। लोग दिल्ली से लगे नोएडा और गुरुग्राम शराब खरीदने जाएंगे।
उनका कहना था कि सरकारी दुकानें सिर्फ 40 फीसद ही शराब बेचती हैं जिन्हें जारी रखा गया है। यह भी दलील थी कि सिर्फ प्राइवेट दुकानों को बंद करना भेदभावपूर्ण और बराबरी के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
दूसरी ओर दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि जो लोग सुप्रीम कोर्ट आए हैं वे ट्रेडर्स एसोसिएशन के सदस्य हैं जिनकी याचिका और लाइसेंस अवधि बढ़ाने की मांग 29 सितंबर को दिल्ली हाई कोर्ट खारिज कर चुका है। इन सभी लोगों को दो बार समय विस्तार दिया गया है और इन लोगों ने अंडरटेकिंग दी थी कि वे 30 सितंबर से दुकानें बंद कर देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद याचिका खारिज करते हुए मामले में दखल देन से मना कर दिया।


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