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अमित शाह से मिलने पहुंचा मणिपुर अखंडता समन्वय समिति का प्रतिनिधिमंडल

Tara Tandi
26 Aug 2023 1:04 PM GMT
अमित शाह से मिलने पहुंचा मणिपुर अखंडता समन्वय समिति का प्रतिनिधिमंडल
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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मणिपुर के कई नागरिक समाज संगठनों के समूह, ‘मणिपुर की अखंडता पर समन्वय समिति’ (सीओसीओएमआई) के प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की। अमित शाह ने अपने आधिकारिक आवास पर बैठक के दौरान हिंसाग्रस्त राज्य से संबंधित कई मुद्दों पर चर्चा की और समूह को आश्वासन दिया है कि आवश्यक वस्तुओं के निर्बाध आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए इंफाल घाटी को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर उचित सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।
साथ ही अमित शाह ने मणिपुर अखंडता समन्वय समिति के एक प्रतिनिधिमंडल को भी आश्वासन दिया है कि मणिपुर के क्षेत्र में सभी प्रकार की घुसपैठ के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक, मणिपुर अखंडता समन्वय समिति के एक प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को दिल्ली में गृहमंत्री के साथ-साथ इंटेलिजेंस ब्यूरो के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की, जहां उन्होंने राज्य से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर लंबी चर्चा की।
समूह द्वारा जारी एक बयान के अनुसार केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मणिपुर के क्षेत्र में सभी प्रकार की घुसपैठ के खिलाफ सख्त रुख पर जोर दिया। केंद्रीय गृहमंत्री ने मणिपुर के क्षेत्र में सभी प्रकार की घुसपैठ के खिलाफ सख्त रुख पर जोर दिया। रेटिना स्कैन सहित बायोमेट्रिक्स का उपयोग करके अप्रवासियों को पंजीकृत करने के उपाय लागू किए जा रहे हैं।
साथ ही अमित शाह ने कहा कि मणिपुर के क्षेत्र में सभी प्रकार की घुसपैठ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। बड़े पैमाने पर घुसपैठ की चिंताओं को दूर करने के लिए सरकार मणिपुर सेक्टर में सीमा पर बाड़ लगाने में तेजी ला रही है।
बयान में कहा गया कि उन्होंने राज्य में शांति की अपील की और समूह से लोगों तक इस संदेश को पहुंचाने का आग्रह किया। समूह को समस्या-समाधान और शांति-निर्माण के लिए जिम्मेदार कुकी नेताओं और समूहों के साथ बातचीत शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
मणिपुर में तीन मई को भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से अधिक लोग मारे गए हैं और कई सैकड़ों घायल हुए हैं। जबकि, हजारों लोगों को राहत शिविरों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। मैतेई समुदाय मणिपुर की आबादी का लगभग 53 फीसदी है और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, 40 फीसदी हैं और मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं।
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