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रक्षा संसदीय स्थायी समिति ने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में गलवां घाटी और पैंगोंग झील का दौरा करने का किया फैसला

HARRY
13 Feb 2021 1:06 AM GMT
रक्षा संसदीय स्थायी समिति ने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में गलवां घाटी और पैंगोंग झील का दौरा करने का किया फैसला
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फाइल फोटो 

संसदीय स्थायी समिति का दौरा

सूत्रों के हवाले से खबर है कि रक्षा संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने शुक्रवार को पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में गलवां घाटी और पैंगोंग झील का दौरा करने का फैसला किया है। यह वह क्षेत्र है जहां भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक गतिरोध हुआ था।

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम की अध्यक्षता में 30 सदस्यीय समिति के सदस्य मई के अंतिम हफ्ते में या जून में पूर्वी लद्दाख क्षेत्र का दौरा करना चाहते हैं। राहुल गांधी भी इस समिति के सदस्य हैं।
इन क्षेत्रों का दौरा करने का निर्णय पैनल की पिछली बैठक में लिया गया था जिसमें राहुल गांधी शामिल नहीं थे, सूत्रों ने कहा, चूंकि पैनल एलएसी का दौरा करना चाहता है। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जाने के लिए समिति को सरकार से मंजूरी लेनी होगी।
सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया में भारत ने किसी भी इलाके से दावा नहीं छोड़ा : रक्षा मंत्रालय
रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि भारत ने पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो (झील) इलाके में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पर समझौता करते हुए किसी भी इलाके से दावा नहीं छोड़ा है। वहीं, देपसांग, हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा सहित अन्य लंबित ''समस्याओं'' को दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच आगामी वार्ताओं में उठाया जाएगा।
सरकार का यह बयान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की उस टिप्पणी के बाद आया है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि सरकार ने भारत माता का एक टुकड़ा चीन को दे दिया।
कांग्रेस नेता ने सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पर हुए समझौते को लेकर भी सवाल उठाए। इस पर भाजपा ने भी गांधी के आरोपों पर पलटवार किया।
भारत-चीन सीमा गतिरोध के मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर राहुल गांधी द्वारा निशाना साधे जाने के बाद भाजपा ने शुक्रवार को उनपर जमकर पलटवार किया। पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कांग्रेस नेता के आरोपों को झूठा करार देते हुए पूछा कि क्या यह सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया का नेतृत्व कर रहे सशस्त्र बलों का अपमान नहीं है।
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