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रक्षा मंत्री बोले- वैज्ञानिकों को हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल विकसित करना चाहिए, जानें इससे भारतीय सेना की ताकत कितनी बढ़ेगी

jantaserishta.com
15 Dec 2021 8:09 AM GMT
रक्षा मंत्री बोले- वैज्ञानिकों को हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल विकसित करना चाहिए, जानें इससे भारतीय सेना की ताकत कितनी बढ़ेगी
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल (Hypersonic Cruise Missile) को लेकर कहा है कि ये आज की जरूरत हैं. इस पर सभी वैज्ञानिक एवं रक्षा संस्थानों को मिलकर काम करना चाहिए. रक्षा मंत्री का बयान ऐसे वक्त में आया है जब चीन से हाइपरसोनिक मिसाइल के परीक्षण की खबरें आ रही हैं. हालांकि, चीन ने अभी तक ऐसी किसी खबर की पुष्टि नहीं की है. लेकिन चीन की हरकतों से भारत, अमेरिका समेत दुनिया के कई देश सजग रहते हैं.

दो महीने पहले भी ऐसी खबर आई थी कि चीन ने हाइपरसोनिक हथियार का टेस्ट किया था. इसका दावा अमेरिका भी कर रहा था. हमारे लिए यह जानना जरूरी है कि क्या भारत के पास ऐसा कोई हथियार है या नहीं. क्या भारत भविष्य में ऐसे हथियार की योजना बना रहा है. क्योंकि अगर रूस और चीन जैसे पड़ोसी देशों के पास ऐसे हथियार होते हैं तो क्या हमारा देश उन हथियारों से सुरक्षा के लिए अपने पास तकनीक रखेगा. आइए जानते हैं...
क्या होता है हाइपरसोनिक हथियार?
आम भाषा में हाइपरसोनिक हथियार का मतलब होता है ध्वनि की गति से 5 गुना ज्यादा स्पीड में चलने वाला हथियार. यानी जो हथियार हवा में 6115 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से उड़ सके, उसे हम हाइपरसोनिक हथियार कहेंगे. अगर यह हथियार समुद्र से कुछ ऊपर 1220 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ता है, तो इस पर हमला करना मुश्किल हो जाएगा. हाइपरसोनिक हथियार की खासियत होती है कि यह कम ऊंचाई पर भी उड़ सकता है. आसानी से टारगेट का पीछा कर सकता है, भले ही टारगेट भाग रहा हो. यानी यह पीछा करके अपने निशाने को ध्वस्त कर देता है.
भारत के पास हाइपरसोनिक हथियार है या नहीं
भारत हाइपरसोनिक ग्लाइडर हथियार बना रहा है, उसका परीक्षण भी कर चुका है. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने मानव रहित स्क्रैमजेट का हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट का सफल परीक्षण साल 2020 में किया था. इसे एचएसटीडीवी (हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल- Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle) कहते हैं. हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट के लिए मानव रहित स्क्रैमजेट प्रदर्शन विमान है. जो विमान 6126 से 12251 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़े, उसे हाइपरसोनिक विमान कहते हैं.
भारत के एचएसटीडीवी (HSTDV) का परीक्षण 20 सेकंड से भी कम समय का था. हालांकि, फिलहाल इसकी गति करीब 7500 किलोमीटर प्रति घंटा थी, लेकिन भविष्य में इसे घटाया या बढ़ाया जा सकता है. इस यान से यात्रा तो की ही जा सकती है, साथ ही दुश्मन पर पलक झपकते ही बम गिराए जा सकते हैं. या फिर इस यान को ही बम के रूप में गिराया जा सकता है.
ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल भी हो रही है तैयार
रूस और भारत मिलकर ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल बना रहे हैं. इसमें वही स्क्रैमजेट इंजन लगाया जाएगा, जो इसे शानदार गति और ग्लाइड करने की क्षमता प्रदान करेगा. इस मिसाइल की रेंज अधिकतम 600 किलोमीटर होगी. लेकिन इसकी गति बहुत ज्यादा होगी. यह मैक-7 यानी 8,575 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दुश्मन पर धावा बोलेगी. इसे जहाज, पनडुब्बी, विमान या जमीन पर लगाए गए लॉन्चपैड से जागा जा सकेगा. ऐसा माना जा रहा है कि यह मिसाइल अगले साल तक बनकर तैयार हो जाएगी.
HGV- हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल
भारत का यह पहला हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल होगा. फिलहाल यह कॉन्सेप्ट के स्तर पर है. उम्मीद जताई जा रही है कि यह मैक-5 यानी करीब 4000 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ेगा. भारत सरकार के साथ एक निजी कंपनी मिलकर इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. इसका आधिकारिक नाम HGV-202F रखा गया है. इसके डिजायन की तस्वीर सामने नहीं आई है. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)
चीन विकसित कर रहा है घातक हाइपरसोनिक हथियार
हो सकता है कि चीन ने अपने नए हाइपरसोनिक हथियार DF-ZF का परीक्षण हाल ही में किया हो लेकिन उसके बारे में दुनिया को जानकारी न दी हो. यह हथियार 6173 किलोमीटर प्रतिघंटा से लेकर 12,360 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार हासिल करने की क्षमता रखता है. यह ग्लाइडर की तरह है, जो पारंपरिक और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है. ये हथियार पहले सीधे अंतरिक्ष की ओर जाते हैं, फिर टारगेट के ऊपर पंहुचने से पहले धरती के गुरुत्वाकर्षण की उपयोग करके तेजी से नीचे आते हैं. उसके बाद काफी नीची उड़ान भरते हुए यानी ग्लाइड करते हुए टारगेट पर हमला करते हैं.
चीन के DF-17 में कम ऊंचाई में उड़ने की क्षमता है. वैसे तो वह बैलिस्टिक मिसाइल है लेकिन वह हाइपरसोनिक हथियार की तरह भी काम कर सकता है, क्योंकि उसका अगला हिस्सा ग्लाइडर की तरह बनाया गया है. उसके अगले हिस्से में विंग्स है, जो उसे कम ऊंचाई पर ग्लाइड करने की ताकत प्रदान करते हैं. यह 1800-2000 किलोमीटर की रेंज में आने वाले टारगेट को बर्बाद कर सकता है. चीन ने दो साल पहले 1 अक्टूबर 2019 को तियानमेन चौराहे पर DF-17 मिसाइल का प्रदर्शन किया. यह चीन की नई अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है, जो पारंपरिक और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है. लेकिन इन सबसे अलग जो बात गौर करने लायक है, वो ये कि इसमें हाइरपसोनिक ग्लाइड सिस्टम (Hypersonic Glide System) लगा है. यानी यह मिसाइल समुद्र के ऊपर कम ऊंचाई पर भी तेजी से उड़ सकता है.
कितने प्रकार के होते हैं हाइपरसोनिक हथियार?
हाइपरसोनिक हथियार मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं. पहला- ग्लाइड व्हीकल्स यानी हवा में तैरने वाले. दूसरा- क्रूज मिसाइल. अभी दुनिया का फोकस ग्लाइड व्हीकल्स पर है. जिसके पीछे छोटी मिसाइल लगाई जाती है. फिर उसे मिसाइल लॉन्चर से छोड़ा जाता है. एक निश्चित दूरी तय करने के बाद मिसाइल अलग हो जाती है. उसके बाद ग्लाइड व्हीकल्स आसानी से उड़ते हुए टारगेट पर हमला करता है. इन हथियारों में आमतौर पर स्क्रैमजेट इंजन लगा होता है, जो हवा में मौजूद ऑक्सीजन का उपयोग करके तेजी से उड़ता है. इससे उसे एक तय गति और ऊंचाई मिलती है.
किन देशों के पास हाइपरसोनिक हथियार हैं?
चीन, अमेरिका और रूस के पास हाइपरसोनिक हथियारों की सबसे अत्याधुनिक तकनीक मौजूद है. इसके अलावा जो देश इन हथियारों को विकसित कर रहे हैं, वो हैं- भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी और उत्तर कोरिया. रूस के पास एवनगार्ड हाइपरसोनिक हथियार है, जिसे ICBM मिसाइल में लगाकर छोड़ा जाता है. रूस ने इस हथियार को अपनी सेना साल 2019 में शामिल कर लिया है. चीन के पास संभवतः दो हाइपरसोनिक हथियार होने की संभावना जताई जा रही है. जिसमें से एक DF-17 और दूसरा DF-ZF है. अमेरिका के पास हाइपरसोनिक हथियार हैं. जिनके बारे में अक्सर खबरें आती रहती हैं.


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