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Ladakh Breaking: लेह पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, रेजांग ला का दौरा करेंगे
jantaserishta.com
18 Nov 2021 3:26 AM GMT

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लद्दाख: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लेह पहुंचे। वे यहां पर 1962 की जंग में हिस्सा लेने वाले सेना के जवानों को रेजांग ला में श्रद्धांजलि देंगे और उन्हें नया युद्ध स्मारक समर्पित करेंगे।
पूर्वी लद्दाख के चुशुल में शून्य से 20 डिग्री नीचे के तापमान में 59 साठ पहले लड़ी गई रेजांगला की लड़ाई के 114 नायकों को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह वीरवार रेजांग ला बेटल डे पर श्रद्धांजलि देे क्षेत्र में देश की सरहदों की रक्षा कर रहे सैनिकों का हाैंसला बढ़ाएंगे।
रक्षामंत्री असाधारण बहादुरी के प्रतीक रेजांग ला के शहीदों को सर्मपित नए वार मेमोरियल का उद्घाटन करेंगे। वीरवार को होने वाले कार्यक्रम में उन पांच घंटों की यादों को ताजा किया जाएगा जब मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में सेना के जवानों ने 18 दिसंबर 1962 को पांच घंटों में दुश्मन के सात हमले नाकाम कर लड़ते-लड़ते जान देन लद्दाख पर कब्जा करने की दुश्मन की साजिश को नाकाम बना दिया था।
बुधवार को सेना की चुशुल ब्रिगेड ने नए वार मेमाेरियल पर मुख्य कार्यक्रम की तैयारियों की अंतिम रूप दिया। इसके साथ रेंजाग ला की लड़ाई की यादों को ताजा करने के लिए चुशुल में सेना का तीन दिवसीय कार्यक्रम भी शुरू हो गया।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह वीरवार सुबह लेह पहुंच रहे हैं। इसके बाद वह पूर्वी लद्दाख के चुशुल के लिए रवाना हो जाएंगे। रक्षामंत्री चुशुल में रेंजाग ला के वीरों की याद में बने नए वार मेमोरियल का उद्घाटन कर चीन के हौसले परास्त करते बलिदान देने वाले सेना के वीरों को श्रद्धांजलि देंगे। रक्षामंत्री के साथ चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत भी चुशल आ रहे हैं।
सैन्य सूत्राें के अनुसार, रक्षामंत्री अपने दौरे के दौरान फील्ड कमांडरों से बैठक कर क्षेत्र के मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य का भी जायजा लेंगे। थलसेना अध्यक्ष जनरल एमएम नरवने इस समय इजरायल के दाैरे पर हैं। ऐसे में वे इस कार्यक्रम में नही होंगे। उन्होंने कुछ समय पहले चुशुल का दौरा कर नए रेजांग ला वार मेमोरियल में शहीदों को श्रद्धांजलि दी थी।
लद्दाख पहुंचे श्रीनगर के पीआरओ डिफेंस कर्नल एमरान मुसावी ने जागरण को बताया कि नए वार मेमोरियल में शहीदों को श्रद्धांजलि देने का कार्यक्रम सुबह 10 बजे के करीब शुरू होगा। उन्होंने बताया कि चुशुल में रेजांग ला वार मेमोरियल का विस्तार कर इसे नया रूप दिया गया है। पहले वार मेमारियल छोटा था, अब इसका विस्तार करने के साथ नया बुनियादी ढांचा विकसित किया गया है। वार मेमोरियल भारतीय सैनिकों की असाधरण वीरता का प्रतीक होगा।
अठारह नवंबर 1962 को सुबह साढ़े तीन बजे के करीब छह हजार से अधिक चीनी सैनिकों ने लद्दाख पर कब्जा करने के लिए चुशुल पर हमला बोल दिया था। ऐसे में चुशुल एयरफील्ड की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले 3 कुमाउं रेजीमेंट की चार्ली कंपनी के 120 वीरों ने कड़ी ठंड में परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह की कमान में मोर्चा संभाल लिया। बर्फ से लदी अठारह हजार फीट उंची रेजांग ला चोटी पर भरतीय सैनिकों ने अंतिम गोली अंतिम सांस तक लड़ते हुए चीन के सात हमले नाकाम कर उसके 1300 सैनिकों को मार गिराया था।
दुश्मन को रोकते हुए एक एक कर 114 सैनिक देश के लिए कुर्बान हो गए। चीन रेंजागला पर कब्जा नही कर पाया व दो दिन बाद 20 नवंबर को उसने सीज फायर कर दिया। इस समय चुशुल में बनाए गए नए रेजांग ला वार मेमोरियल पर लगा 108 फीट उंचा तिरंगा पूर्वी लद्दाख के पार बैठे चीनी सैनिकों को भी भारतीय सैनिकाें की वीरता याद दिलाता है।
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