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हेमंत सरकार को लेकर फैसला जल्द ही, जानें अपडेट

Nilmani Pal
3 Sep 2022 1:36 AM GMT
हेमंत सरकार को लेकर फैसला जल्द ही, जानें अपडेट
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सोर्स न्यूज़  - आज तक  

झारखंड। हेमंत सरकार पर पिछले एक हफ्ते से संकट मंडरा रहा है. चुनाव आयोग की जांच रिपोर्ट और सिफारिशी चिट्ठी मिलने के बाद राज्यपाल की तरफ से अब तक रुख स्पष्ट नहीं किया गया है. इस बीच, राज्यपाल रमेश बैस शुक्रवार को दिल्ली पहुंच गए हैं. माना जा रहा है कि झारखंड में एक-दो दिन में राजनीतिक भ्रम की स्थिति खत्म हो सकती है. राज्यपाल दिल्ली में कानूनी जानकारों से मशविरा करने के बाद किसी निर्णय पर पहुंच सकते हैं.

कहा जा रहा है कि अगर राज्यपाल ने चुनाव आयोग की सिफारिश पर अपनी मुहर लगाई तो हेमंत सरकार की मुश्किलें बढ़ जाएंगी. सीएम हेमंत को विधायक पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है और पार्टी को नए चेहरे को जिम्मेदारी सौंपनी पड़ सकती है. बता दें कि हेमंत के खिलाफ लाभ के पद पर होने के बावजूद माइनिंग लीज का पट्टा हासिल करने के आरोप है. इसी मामले में चुनाव आयोग ने जांच के बाद हेमंत की विधायकी रद्द करने की सिफारिश की है.

बता दें कि अगस्त के आखिरी सप्ताह में जब चुनाव आयोग ने राजभवन को चिट्ठी भेजी थी, तब राज्यपाल रमेश बैस दिल्ली में थे. वे अगले ही दिन झारखंड पहुंच गए थे. हालांकि, राज्यपाल की तरफ से चुनाव आयोग की सिफारिश पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है. ऐसे में हेमंत सरकार भी आशंकाओं में घिर गई है. सत्तारूढ़ दल झामुमो चाहता है कि राज्यपाल जल्द अपने निर्णय पर पहुंचें. ताकि पार्टी अपना अगला कदम उठाने की तैयारी कर सके.राज्यपाल रमेश एक हफ्ते से झारखंड में ही थे. वे शुक्रवार को दिल्ली चले गए हैं. गुरुवार को राज्यपाल से यूपीए के डेलिगेशन ने मुलाकात की थी और कहा था कि झारखंड में जो राजनीतिक भ्रम की स्थिति बनी हुई है, उसको दूर करना चाहिए. राज्यपाल ने आश्वासन दिया था कि वे एक-दो दिन में कानूनी राय लेकर स्थिति को स्पष्ट करेंगे.

हालांकि, झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस चुप्पी साधे हैं. राज्यपाल की ये चुप्पी झारखंड की राजनीति में उथल-पुथल मचाए हुए है. खरीद-फरोख्त के डर से सीएम हेमंत सोरेन 33 विधायकों (19 झामुमो विधायक, कांग्रेस के 13 और राजद के 1) के साथ रायपुर में डेरा जमाए हैं. हेमंत समेत सभी विधायक रांची से रायपुर एयरक्राफ्ट के जरिए पहुंचे थे. राज्य में राजनीतिक दल जोड़तोड़ करने में लगे हैं. इस बीच, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने राज्यपाल रमेश बैस को लेकर सवाल किया है. आजतक के साथ बातचीत में पूर्व CEC एसवाई कुरैशी ने कहा- 'ECI को अपनी सिफारिश भेजे एक सप्ताह हो गया है. ये सिफारिश राज्यपाल रमेश बैस की निजी संपत्ति नहीं है. हालांकि इसकी कोई समय सीमा नहीं है. राज्यपाल से उचित तत्परता के साथ इस पर कार्रवाई करने की अपेक्षा की जा सकती है.'

कुरैशी ने कहा- 'ECI की सिफारिश अंतिम है. अल्पविराम भी नहीं है. इसे फुल स्टॉप में नहीं बदला जा सकता. अधिसूचना जारी करने में राज्यपाल की देरी झारखंड में अस्थिरता पैदा कर रही है. वहीं, पूर्व CEC ओपी रावत ने कहा- 'कानूनी तौर पर कोई समय सीमा नहीं है, जिसके तहत राज्यपाल बाध्य हों. लेकिन आमतौर पर राज्यपाल सिफारिश मिलने के 2-3 दिनों के भीतर निर्णय/अधिसूचना जारी करते हैं.' चुनाव आयोग की भूमिका के बारे में रावत ने कहा- 'चुनाव आयोग की कोई भूमिका नहीं है (राज्यपाल को अपनी राय देने के बाद). अगर मुख्यमंत्री को अयोग्य घोषित किया जाता है तो सरकार नहीं गिरेगी.


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