राजस्थान में कर्जमाफी सियासत में उलझ गई है। राज्य के किसान केंद्र सरकार, राज्य सरकार और राजभवन फंस गया है। तीनों संवैधानिक संस्थाएं एक-दूसरे पर आरोप लगा रही है। वर्ष 2018 में कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में किसानों की संपूर्ण कर्जमाफी का वादा किया गया था। लेकिन कर्जमाफी के चुनावी वादे का इंतजार करीब साढ़े तीन लाख किसान कर रहे हैं। कर्जमाफी की पात्रता श्रेणी में राज्य सरकार ने दो लाख तक कर्जदार 2018 के पहले के किसानों को माना है। इसमें राष्ट्रीयकृत बैंकों से कर्ज लिए किसानों की कर्जमाफी नहीं हो पा रही है। गहलोत सरकार का कहना है कि राष्ट्रीयकृत बैंकों से किसानों के आंकड़े के लिए बार-बार केंद्र को लिखा जा रहा है। बैंक आंकड़े नहीं दे रहे हैं। दूसरी तरफ केंद्र सरकार के आंकड़ों में राजस्थान के किसानों पर 31 मार्च 2021 तर 1,20,979 करोड़ रुपये कर्जमाफी था। जबकि राज्य की गहलोत सरकार ने पिछले पौने तीन साल में महज 8, 676 करोड़ रुपये का कर्जमाफ किया है। ऐसे में जिस राहत की उम्मीद किसान लगाए बैठे थे। कर्जमाफी की योजना उस पर खरा नहीं उतर पाई है।