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कंडक्टर की मौत, 3 बार एयरपोर्ट लाया गया शव, नहीं पहुंच सका गांव

jantaserishta.com
21 April 2022 2:48 PM GMT
कंडक्टर की मौत, 3 बार एयरपोर्ट लाया गया शव, नहीं पहुंच सका गांव
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देवास जिले का एक शख्स काम के सिलसिले में कोलकाता गया, लेकिन फिर लौट नहीं सका। उसकी लाश भी नहीं आई। यहां के एम्बुलेंस ड्राइवर ने शव देवास पहुंचाने का दो दिन तक प्रयास किया, लेकिन एयरपोर्ट पर केमिकल की स्मेल आने का कहकर ले जाने से इनकार कर दिया। इसके बाद एम्बुलेंस ड्राइवर ने कोलकाता में ही अंतिम संस्कार किया। परिजन वीडियो कॉल के जरिए शामिल हुए।

मामला जिले की कन्नौद तहसील के थूरिया गांव का है। रतन (34) गांव के ही जाकिर पठान के साथ इंदौर से एक गाड़ी का चेचिस छोड़ने बतौर कंडक्टर कोलकाता गया था। वहां पहुंचने से पहले उसकी तबीयत खराब होने लगी। जाकिर ने इसकी सूचना रतन के परिजनों को दी। सोमवार को रतन और जाकिर कोलकाता पहुंचे। यहां स्थानीय पुलिस ने दोनों की मदद की और रतन को डॉक्टर को दिखाया गया। इलाज के दौरान करीब एक घंटे बाद रतन की मौत हो गई। मृतक के गांव थूरिया से कोलकाता की दूरी करीब 1500 किलोमीटर है।
3 बार एयरपोर्ट लाया गया शव, नहीं पहुंच सका गांव
सोमवार को अस्पताल में रतन की मौत होने के बाद एम्बुलेंस ड्राइवर बिट्टू गुप्ता को शव को एयरपोर्ट छोड़ने के लिए कहा गया। बिट्टू ने कागजी कार्रवाई पूरी करवाई, लेकिन NOC मिलने में समय लग गया। शव की पैक करवाकर बिट्टू मंगलवार सुबह एयरपोर्ट पहुंचा, तब तक फ्लाइट का समय हो गया। उसके बाद बिट्टू ने शव को मॉर्चुरी में रखवाया। मंगलवार रात जब वापस शव लेकर पहुंचे तो एयरपोर्ट अथॉरिटी ने केमिकल की स्मेल आने का कहकर ले जाने से मना कर दिया। बिट्टू शव को वापस लेकर गए और उसकी डबल पॉलीथिन से पैकिंग करवाई, बुधवार सुबह जब एयरपोर्ट पहुंचे तो फिर वही कारण बताकर एयरपोर्ट पर शव को नहीं लिया गया।
परिवार वालों ने बिट्टू को शव का कोलकाता में ही अंतिम संस्कार करने का कहा। आखिरकार बुधवार दोपहर में बिट्टू गुप्ता ने अपने कुछ साथियों के साथ कोलकाता में ही रतन के शव का अंतिम संस्कार किया। इस पूरे घटनाक्रम में बिट्टू के साथ थूरिया का जाकिर पठान मौजूद रहा। जो अब रतन की अस्थियां लेकर कोलकाता से थूरिया के लिए रवाना होगा। अस्थियां गांव तक पहुंचने में 48 घंटे से ज्यादा लगेंगे।
शादी हो चुकी, पत्नी नहीं रहती थी साथ
तीन भाइयों में रतन दूसरे नंबर का था। बड़ा भाई विक्रम पिता रेवाराम के साथ खेती का काम देखता है। छोटा भाई चरण सिंह जुड़ाई का काम करता है। परिवार के पास महज 3 एकड़ जमीन है। रतन की शादी हो चुकी थी, लेकिन उसकी पत्नी लंबे समय से उसके साथ नहीं रहती थी।
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