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देश में कोरोना से मौतों में जल्द आएगी स्थिरता, तीसरी लहर आई तो ऑक्सीजन का नहीं रहेगा संकट

jantaserishta.com
26 May 2021 3:28 AM GMT
देश में कोरोना से मौतों में जल्द आएगी स्थिरता, तीसरी लहर आई तो ऑक्सीजन का नहीं रहेगा संकट
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नई दिल्ली:- मेडिकल ऑक्सीजन पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त समिति की और शीर्ष वायरोलॉजिस्ट सदस्य डा. गगनदीप कांग ने देश में जारी टीकाकरण की रफ्तार को धीमा बताया है। उनका कहना है कि वैक्सीन की सीमित आपूर्ति होने के कारण ही टीकाकरण की रफ्तार कम है। वैक्सीन की अधिक खुराक उपलब्ध होने की उम्मीद थी, जो अभी तक उपलब्ध नहीं हुई हैं। डा. गगनदीप ने कहा कि जैसे-जैसे कंपनियां वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाएगी, टीकाकरण की रफ्तार भी बढ़ेगी।

शीर्ष वायरोलॉजिस्ट ने कहा कि हमे अन्य टीकों को भी आयात करना होगा, लेकिन विश्व स्तर पर भी टीके की कमी है और केवल रूसी और चीनी टीका ही उपलब्ध है। इसलिए हमें यह तय करना होगा कि जब तक कि भारतीय कंपनियां अपने टीके बनाना शुरू नहीं कर देतीं, तब तक हमे कौन सी वैक्सीन खरीदनी चाहिए।
डा. गगनदीप ने आगे कहा कि हमें यह उम्मीद करनी चाहिए कि कोरोना से होने वाली मौतें भी स्थिर होंगी और जल्द से जल्द कम होना शुरू होंगी। अगर ऐसा नहीं होता तो, तो हमारे रिपोर्टिंग सिस्टम के कुछ पहलू में समस्या हो सकती है।
उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि यह (ब्लैक फंगस) वैरिएंट से संबंधित है। यह इस तथ्य से संबंधित है कि हमारे पास कई मामले हैं, हम स्टेरॉयड का स्वतंत्र रूप से उपयोग कर रहे हैं और बहुत सारे मधुमेह रोगी हैं जो इन मामलों के लिए जोखिम कारक भी हैं।
बता दें कि देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस की 24. 30 लाख से अधिक वैक्सीन लगाई गई है, जिसके बाद कुल वैक्सीनेशन का आंकड़ा 19.85 करोड़ को पार कर गया है। वहीं, देश में कोरोना के 1,96,427 नए मामले आने के बाद कुल पॉजिटिव मामलों की संख्या 2,69,48,874 हुई। 3,511 नई मौतों के बाद कुल मौतों की संख्या 3,07,231 हो गई है।

तीसरी लहर

कोविड की दूसरी लहर ने देश में जो तबाही मचाई है, उसके बाद तीसरी लहर को लेकर सरकार किसी तरह की ढिलाई नहीं बरतना चाहती। अस्पतालों से लेकर ऑक्सीजन सप्लाई चेन तक सरकार अब महामारी की संभावित तीसरी लहर को लेकर सभी तरह की तैयारियों में जुट गई है। लेकिन, यह सब उतना आसान नहीं है। उसके सामने कई चुनौतियां भी हैं। सबसे बड़ी चुनौती ये है कि अगर ऑक्सीजन प्लांट लगा भी दिए जाएं तो इतनी जल्दी उसे चलाने वाले प्रशिक्षित स्टाफ कहां से आएंगे। यह चुनौती सिर्फ ऑक्सीजन प्लांट को लेकर नहीं है। अस्थाई अस्पताल बनाने पर भी उसके लिए स्टाफ जुटाने में दिक्कत हो सकती है। लेकिन, इन चुनौतियों से निपटने की तैयारियों शुरू कर दी गई हैं।

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