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यूं तो पूर्वी राजस्थान की सियासत ERCP पर जमकर तल्ख है लेकिन भाजपा की महिला सांसद पर हुए हमले ने इस सियासी पारे में गर्मी और बढ़ा दी है. मामला इसलिए भी गर्म है. क्योंकि, हमला पहली मर्तबा नहीं बल्कि चौथी बार हुआ है वो भी तब जब भरतपुर सांसद रंजीता कोली को केंद्र की ओर से ''वाई '' कैटेगरी की सुरक्षा दी हुई है. लिहाजा ऐसे में सवाल कई हैं. कानून व्यवस्था के मामला में घिरी सूबे की सरकार पर फिर सवालिया निशान है तो सवाल यह भी कि आखिर सांसद आधी रात को बिना SP को इत्तला किए क्यों खनन माफियाओं के खिलाफ आवाज उठाने निकल पड़ी?
दरअसल रविवार रात भरतपुर सांसद रंजीता कोली पर हमला हुआ, जिसमें वह बाल-बाल बची, लेकिन उनको या उनके किसी स्टॉफ को कोई भी चोट या खरोंच तक नहीं आई. सांसद रंजीता कोली ने दावा किया कि खनन माफिया ने उन पर जानलेवा हमला किया. जिसमें उनकी गाड़ी के शीशे टूट गए उनपर पथराव किया गया. लेकिन वह सुरक्षित बच निकली, जिसकी वजह से उन्होंने अपने स्टॉफ और खुद का मैडीकल कराने से इनकार कर दिया. उन पर हुआ यह हमला एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गया है.
सबसे बड़ा सवाल यह है कि हर बार की तरह सांसद रंजीता कोली ही क्यों माफियाओं के निशाने पर आ गई. इसके पीछे कहीं उनका माफियाओं के खिलाफ आवाज उठाना है या फिर कुछ और? उन पर पहले भी हुए तीन हमलों पर पुलिस किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई. अब चौथा हमला भी उन पर उस वक्त हुआ जब वह दिल्ली से भरतपुर लौटते समय कामां कोसी मार्ग पर अवैध खनन से लोड होकर गुजर रहे वाहनों की जांच करने पहुंची थी. उसी समय धिलावटी पुलिस चौकी के पास लेवडा मोड़ पर खनन माफियाओं ने सांसद की गाड़ी पर पथराव कर दिया. जिसमें सांसद बाल-बाल बची. वहीं इस हमले के बाद सांसद मौके पर ही धरने पर बैठ गई.
उनके समर्थक भी मौके पर पहुंच गए और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी. सांसद 10 घण्टे तक धरने पर बैठी रही और हमला करने वाले आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग करने लगी और कलक्टर-एसपी की काफी समझाइश के बाद वह धरना खत्म कर दिल्ली जाने पर राजी हुई. इस दौरान उन्होंने जिला प्रशासन सहित प्रदेश की गहलोत सरकार पर भी गम्भीर आरोप लगाए. इस दौरान उनके समर्थन में भाजपा नेता जवाहर बेढम, मनीष शर्मा सहित आसपास के ग्रामीण भी पहुंच गए और काफी देर तक इस रूट पर आवागमन बाधित रही. पुलिस ने कुछ ट्रकों को भी पकड़ कर जब्त किया.
वहीं इस मामले में एक बड़ा दिलचस्प पहलू यह भी है कि सांसद रंजीता कोली को केंद्र सरकार ने ''वाई '' केटेगरी की सुरक्षा दे रखी है. जिसमें उनके साथ सीआरपीएफ के सशस्त्र कमांडो का दल और पुलिस लाइन से पुलिस एस्कार्ट और सम्बंधित पुलिस थाने की गाड़ी उनके काफिले में चलती है. इतनी सुरक्षा के बीच भी खनन माफिया ने उनकी कार पर हमला कर दिया जिसके शीशे भी टूट गए और सुरक्षाकर्मी चुपचाप सब देखते रहे. आखिर यह कैसे सम्भव है कि अगर ऐसा हुआ है तो यह सांसद कोली की सुरक्षा में बड़ी चूक है.
इसके लिए राजस्थान पुलिस सांसद कोली के प्रमुख सुरक्षा अधिकारी सहित सुरक्षा कर्मियों से भी पूछताछ करेगी. पुलिस सूत्रों की माने तो सांसद कोली ने ''वाई'' केटेगरी के सुरक्षा नियमों को भी धता बताकर पुलिस को अपने रूट चार्ट में इसका खुलासा नहीं किया कि वह किस रास्ते से दिल्ली से बयाना अपने निवास पहुचेंगी? साथ ही हैरानी की बात यह है कि उन पर हमला 11.20 मिनिट पर होता है और उनके ऑफिस से 11.29 मिनिट पर पुलिस कंट्रोल रूम को उनके बयाना पहुंचने का मेल पहुंचता है. पुलिस सूत्रों के अनुसार भरतपुर पुलिस लाइन के एस्कार्ट ऑफिसर ने कई बार सांसद की एस्कार्ट में फोन कर पूछा कि वह किस रास्ते से आएंगी लेकिन रास्ते का खुलासा नहीं किया और फिर यह घटना सामने आती है.
पुलिस को दिए बयानों में सांसद कोली ने बताया कि जब गाड़ी पर पथराव हुआ उस समय वह खुद और उनका निजी सहायक कोई भी मौजूद नहीं था और ना ही किसी को कोई चोट आई है. जिन ट्रकों को पुलिस ने पकड़ा है वह पहाड़ के वैध माइनिग एरिया टीपी रवन्ना लेकर परिवहन कर रहे थे. सबसे बड़ा सवाल यह है कि रात के वक्त बिना कलक्टर एसपी को सूचना दिए सांसद का इस तरह सड़क पर गाड़ी खड़ा कर ट्रक चालकों को रोकना कितना खतरनाक है. यह इस बात से समझा जा सकता है कि हरियाणा में एक ट्रक चालक ने DySP स्तर के अफसर को कुचल कर मार दिया. खैर पुलिस पहले के हमलों की गुत्थी तो नहीं सुलझा पाई है लेकिन इस बार दावा कर रही है कि वह जल्द ही मामला का खुलासा करेंगे.
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