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16 महीने से अस्पताल के फ्रीजर में पड़े रहे कोरोना मरीज के शव, बड़ी लापरवाही आई सामने

jantaserishta.com
29 Nov 2021 6:24 PM GMT
16 महीने से अस्पताल के फ्रीजर में पड़े रहे कोरोना मरीज के शव, बड़ी लापरवाही आई सामने
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बेंगलुरु: दुनिया को अलविदा कह चुके मुनिराजु का परिवार आज खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है. 67 साल के मुनिराजु की मौत 2 जुलाई 2020 को कोरोना की वजह से बेंगलुरु के ESI अस्पताल में हो गई थी. वह समय कोरोना की पहली लहर का था, जब मृतकों के शव परिजनों को नहीं दिए जाते थे. परिवार ने भी अस्पताल और बेंगलुरु नगर निगम को इस बात की सहमति दे दी थी कि मुनिराजु का अंतिम संस्कार कर दिया जाए.

अस्पताल के फ्रीजर में पड़े रहे शव
लगभग ऐसी ही कहानी 40 साल की दुर्गा की भी है. दुर्गा की मौत भी 2 जुलाई 2020 को हुई और अगले दिन प्रसाशन की ओर से उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया था. लेकिन इन दोनों मौतों का सच ये है कि दोनों के मृत शरीर ESI अस्पताल के शव गृह के रेफ्रिजरेटर में पड़े रहे और सड़ते-गलते रहे. इन शवों की किसी ने कोई सुध भी नहीं ली. इधर दोनों ही परिवार ये मान कर बैठे थे कि उनके परिजनों का अंतिम संस्कार हो चुका है और वह अपने-अपने धर्मिक रीति-रिवाज के हिसाब से श्राद्ध क्रिया कर चुके थे.
दोनों शव अस्पताल के शवगृह में पड़े हुए हैं. इस बात का खुलासा पिछले शनिवार को हुआ जिसके बाद अस्पताल के पूरे प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया. शव किन हालात में खोजे गये, या कैसे सामने आए इसको लेकर अस्पताल की तरफ से ना तो कोई सफाई आई है ना ही अस्पताल का कोई अधिकारी इस मुद्दे पर कुछ बोलने को तैयार है.
16 महीने बाद हुई खोज
अस्पताल के सूत्रों के मुताबिक इन दोनों शवों को हॉस्पिटल के पुराने शवगृह के फ्रीजर में रखा गया था और अस्पताल के कर्मचारी बेंगलुरु महानगर निगम के कर्मचारी का इंतजार कर रहे थे. इसी दौरान हॉस्पिटल का नया शवगृह शुरू हो गया और इसके बाद के सारे शवों को नए शवगृह में रखा जाने लगा. ये दोनों शव पुराने शवगृह में ही पड़े रह गए, और तकरीबन 16 महीने बाद शनिवार को इन दोनों शवों के बारे पता चल पाया.
मामला सामने आने के बाद अब पुलिस ने इस घटना को लेकर मामला दर्ज किया है और इस बात का पता लगाने में जुट गई है कि ये केस लापरवाही का है या इसके पीछे कोई और कारण हो सकते हैं. इस बीच पुलिस के अनुरोध पर दोनों शवों का पोस्टमार्टम भी किया जा रहा है पर इस बात पर संशय है कि शरीर के नाम पर बचे हड्डी के ढांचों से कुछ पता चल पाएगा.
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