बहुओं ने की सास की अंतिम इच्छा पूरी, पार्थिव शरीर को दिया कंधा
हरियाणा। हिंदू रीति-रिवाज में माता-पिता के मरणोपरांत अब तक आपने बेटे-बेटियों को ही कंधा देते सुना होगा, लेकिन सोनीपत के बौद्ध विहार में 105 वर्षीय फूलपती को उसकी पुत्रवधुओं ने कंधा दिया है. हालांकि फूलपती के पांच बेटे, तीन बेटियां, नौ पोते व नौ पोतियां हैं. फूलपती पांच साल से बेड पर थी. पुत्रवधुएं ही फूलपती की सेवा कर रही थीं.
बहुओं की सेवा से प्रसन्न फूलपती की अंतिम इच्छा थी कि जब बहुएं हर पल साथ रही और पूरी सेवा की तो मेरी अंतिम रस्में भी बहुएं भी करेंगी. फूलपती की अंतिम इच्छा को बेटों व पुत्रवधुओं ने स्वीकार किया और फूलपती को कंधा देकर सभी रस्में निभाई. मुरथल रोड स्थित बौद्ध विहार कालोनी निवासी फूलपती के दो बेटे हरियाणा सरकार व दो बेटे केंद्र सरकार में अधिकारी रहे हैं, जबकि छोटा बेटा खेती संभालता है. फूलपती पांच वर्ष से चलने-फिरने में असमर्थ ही और चारपाई पर ही थीं. फूलपती की बहुओं ने अपनी सास को कभी असहज महसूस नहीं होने दिया. हर पल साथ रह कर अपनी सास का दुख-सुख बांटती रहीं. पुत्रवधुओं की सेवा से प्रभावित होकर फूलपति ने अपने बेटे को इच्छा जाहिर की कि जब सेवा बहुओं ने कि हैं तो मेरी अंतिम रस्में भी बहुओं को ही करनी चाहिए.
बुधवार देर रात फुलपती ने घर पर ही अंतिम सांस ली. हरियाणा रोडवेज में मुख्य निरीक्षक के पद से सेवानिवृत्त उनके मझले बेटे रोहतास कुमार ने अपनी माता की अंतिम इच्छा को पूरा करते हुए बहुओं के कंधों पर अर्थी रखते हुए समाज में एक नई पहल की शुरुआत की. सेक्टर-15 श्मशान घाट में फूलपती को मुखाग्नि दी गई. उनके अंतिम संस्कार में हरियाणा रोडवेज के स्टाफ सदस्य, सेवानिवृत्त जिला आबकारी एवं कराधान अधिकारी आरके पावरिया, सेवानिवृत्त जिला राजस्व अधिकारी सुरेश कुमार सहित बड़ी संख्या में लोग पहुंचे. बौद्ध विहार की रहने वाली फूलपति के पार्थिव शरीर को उनकी दो पुत्रवधुओं ने कंधा दिया. उनकी पुत्रवधू शकुंतला (51) और बबीता (40) ने सास की अंतिम इच्छा को पूरा किया. दोनों महिलाएं गृहिणी हैं. दोनों बहुओं का कहना है कि उन्होंने सदैव सेवा भाव से सास को अपने साथ रखा.