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हिम्मत देने वाली खबर: फूड सेफ्टी ऑफिसर 27 दिन वेंटिलेटर पर रहे, ऑक्सीजन लेवल आया 23 पर, और ऐसे जीती कोरोना से जंग
jantaserishta.com
28 April 2021 7:07 AM GMT
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घर आया तो फिर बिगड़ी तबीयत...
शिमला. देशभर में कोरोना के चलते हाहाकार मचा हुआ है. हर तरफ से नेगेटिव खबरें और सूचनाएं मिल रही हैं. ऐसे में हिमाचल के शिमला (Shimla) से एक पॉजिटिव खबर आई है. जो कोरोना काल में लोगों को हिम्मत देती है. शिमला शहर के फूड सेफ्टी ऑफिसर अशोक मंगला को कोरोना हो गया था. कोरोना पॉजिटिव (Corona Positive) होने के बाद उनका ऑक्सीजन लेवल 23 रह गया था. इलाज के दौरान वह 27 दिन आईजीएमसी (IGMC) में वेंटिलेटर पर रहे. इस दौरान उनका 30 किलोग्राम वजन भी कम हो गया लेकिन कोरोना से जंग जीत ली.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अशोक मंगला ने बताया कि तीन सितंबर को उन्हें बुखार आया और थकान होने पर वह आईजीएमसी गए. यहां पर फ्लू ओपीडी सैंपल लिया गया. इसी दिन बजे सीएमओ शिमला का मुझे फोन आया कि कि उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव है. मंगला कहते हैं कि इसके बाद वह डर गए. क्योंकि घर में बुजुर्ग माता-पिता और दो बच्चे हैं. सीएमओ ने उनसे पूछा कि वह होम क्वारेंटाइन रहना चाहते हैं या या अस्पताल जाना चाहेंगे. ऐसे में मंगला ने रिपन में भर्ती होने की बात कही. बाद में एंबुलेंस नहीं आई तो मेरी
गाड़ी में घरवाले रिपन अस्पताल छोड़ गए
सात सितंबर को एक्सरे लिया गया और रिपोर्ट देख कर डॉक्टरों ने कहा कि वह आईजीएमसी में भर्ती हो जाएं. 12 सितंबर को आईजीएमसी में अशोक की तबीयत काफी खराब होगई. सांस लेने में तकलीफ होने लगी. तबीयत बिगड़ने पर अशोक को वेंटिलेटर पर रखा गया और दो अक्टूबर तक वेंटिलेटर पर रहा. इस दौरान मेरा वजट 30 किलो कम हो गया था. 30 से नीचे कई बार ऑक्सीजन लेवल गिरा. 2 अक्टूबर के बाद तबीयत में हल्का सुधार होने लगा.
घर आया तो फिर बिगड़ी तबीयत
अशोक मंगला बताते हैं कि इस दौरान आईजीएमसी से छुट्टी दे दी गई, लेकिन कुछ दिन घर में रहा तो दोबारा तबीयत बिगड़ गई. दोबारा जांच में पता चला कि फेफड़ों में दिक्कत है. 10 अक्टबूर को फिर से आईजीएमसी में दाखिल कर दिया गया. 25 अक्टबूर को दोबार सांस थमने लगी और फिर से मुझे वेंटिलेटर पर डाल दिया. इस दौरान सात दिन वेंटिलेटर पर रहा. बाद में मेरी तबीयत में सुधार होने लगा.
डॉक्टर लगातार मिलने आते थे. मंगला बताते हैं कि जब वह वेंटिलेटर पर थे आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनकराज 4 बार पीपीई किट पहन कर मुझसे मिलने आए और वह मुझे जीने के लिए प्रोत्साहित करते रहे. इसके अलावा डॉ. बलबीर, डॉ. मालेय सरकार, डॉ.. सुनील शर्मा, डॉ.. राहुल गुप्ता समेत कई डॉक्टरों ने रोजाना मेरा हौंसला बढ़ाया. डॉक्टरों की वजह से आज मैं दोबारा खड़ा हो पाया हूं.
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