दिल्ली: पिछले तीन सालों में देश में साइबर क्राइम के 16 लाख मामले सामने आए हैं। किसी का अकाउंट हैक हुआ, तो किसी का बैंक बैलेंस झटके में जीरो हो गया। ऑनलाइन एक्टिविटी बढ़ने से फ्रॉड का खतरा भी कई गुना बढ़ा है।
तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल के साथ ही साइबर क्राइम के मामलों में भी बेतहाशा बढ़ोत्तरी दर्ज हो रही है। इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि एक साल में ही इसके आंकड़े कुछ हजार से बढ़कर दस लाख से भी ज्यादा हो गये है। हालांकि इनमें वही लोग शामिल है, जिन्होंने अपने साथ होने वाले किसी तरह से साइबर अपराध की शिकायत दर्ज कराई है। ऐसे में यह संख्या और भी ज्यादा हो सकती है।
मालूम हो कि इन आंकड़ों से परेशान केंद्र ने इससे निपटने के बड़े स्तर पर कवच नाम से एक अभियान छेड़ा है। जिसमें साइबर क्राइम से जुड़े अपराधों का समाधान तलाशने के लिए देश भर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले युवाओं को आमंत्रित किया गया है। एआइसीटीई के चेयरमैन डाक्टर टीजी सीताराम, ब्यूरो आफ पुलिस रिसर्च एवं डेवेलपमेंट ( बीपीआरएंडडी) के महानिदेशक बालाजी श्रीवास्तव और इंडियन साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर ( आइ4सी ) के सीईओ राजेश कुमार ने गुरुवार को संयुक्त रूप से पत्रकारों से चर्चा में यह जानकारी दी।
पिछले साल दर्ज हुए थे साइबर क्राइम के दस लाख से अधिक मामले: आइ4सी के सीईओ राजेश कुमार ने बताया कि पिछले साल में साइबर क्राइम के दस लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए है। जो चौंकाने वाला है। इनमें से ज्यादातर मामले वित्तीय जालसाजी से जुड़े थे। इसके साथ ही अलग-अलग क्षेत्रों से जुडे है। फिलहाल साइबर से जुड़े सभी तरह से अपराधों को सूचीबद्ध करके हम उसके समाधान की ओर से बढ़ रहे है। इसके लिए कवच के नाम से एक हैकथान आयोजित किया जा रहा है। जिसमें इंजीनियरिंग कालेजों में पढ़ने वाले कोई भी छात्र एक ग्रुप के साथ इसमें हिस्सा ले सकेगा।