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सीवोटर स्वच्छता सर्वे: केवल 15 फीसदी गरीबों के पास 'हमेशा' से था शौचालय
jantaserishta.com
6 Jun 2023 9:07 AM GMT
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नई दिल्ली (आईएएनएस)| 2014 में स्वच्छ भारत मिशन के लॉन्च होने तक निम्न आय वर्ग के अधिकांश लोगों के पास शौचालय तक पहुंच नहीं थी। यह अप्रैल के अंत में सीवोटर फाउंडेशन द्वारा किए गए एक विशेष अखिल भारतीय सर्वे के दौरान सामने आया। सवाल पूछा गया कि आपके घर में शौचालय कब से है? 15 प्रतिशत से थोड़ा अधिक ने कहा कि उनके पास हमेशा से शौचालय था। सीवोटर फाउंडेशन के शोधकर्ताओं ने प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण किया और निष्कर्ष निकाला कि स्वच्छ भारत मिशन के लॉन्च होने तक लगभग 85 प्रतिशत गरीब भारतीयों के पास शौचालय तक पहुंच नहीं थी।
जबकि 23 फीसदी ने कहा कि उन्हें पिछले एक साल में शौचालय मिला है, 27 फीसदी ने कहा कि उनके घर में एक से तीन साल पहले शौचालय बना है। अन्य 12 फीसदी ने कहा कि उन्हें तीन से पांच साल पहले शौचालय मिला, जबकि 20 फीसदी ने कहा कि उन्हें पांच साल से ज्यादा समय से पहले शौचालय मिला था। इस साल अप्रैल के अंत में सीवोटर फाउंडेशन का सर्वे किया गया। तब स्वच्छ भारत अभियान को शुरू हुए नौ साल से थोड़ा कम समय हुआ था।
कल्याणकारी योजना के तहत, केंद्र सरकार ने 2014 और 2019 के बीच 70,000 करोड़ रुपये शौचालय निर्माण पर खर्च किए, जिसके कारण देश भर में लगभग 9 करोड़ नए शौचालय बने। एनएफएचएस की श्रृंखला 5 द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, खुले में शौच करने वाले परिवारों का प्रतिशत 2015-16 में 39 प्रतिशत से घटकर 2019-21 में 19 प्रतिशत हो गया।
स्वच्छ भारत अभियान की सफलता और विफलताओं का पता लगाने के लिए भारत भर में सीवोटर फाउंडेशन द्वारा विशेष सर्वे किया गया। सर्वे को विश्वसनीय बनाने के लिए सभी उत्तरदाता निम्न आय पृष्ठभूमि से रखे गए, जिनकी आय 3000 रुपये प्रति माह से कम थी।
धारणा यह है कि बहुत गरीब लोग ही खुले में सबसे ज्यादा शौच करते हैं। सीवोटर फाउंडेशन इस सर्वे के शुरूआती दायरे को एक बड़े दायरे में विस्तारित करेगा जो इस मुद्दे पर राज्यवार रैंकिंग की सुविधा प्रदान करेगा।
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