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कुत्ते पालने वाले सावधान: अब कुत्तों को हो रही है ये गंभीर बीमारी

Admin2
20 Oct 2020 4:09 PM GMT
कुत्ते पालने वाले सावधान: अब कुत्तों को हो रही है ये गंभीर बीमारी
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भोपाल। जग्गू छह साल का एक लेब्राडोर डॉग है। उसके पालकों ने कभी नहीं सोचा होगा कि इस उम्र में उसका दिल दगा देगा, पर ऐसा ही हुआ। तीन दिन पहले उसका राइट साइड हार्ट फेल्यर (दिल के दाहिने हिस्से को पर्याप्‍त खून नहीं मिला) हो गया। मध्य प्रदेश के इंदौर से डॉक्टरों ने उसे भोपाल रेफर किया, जहां राज्य पशु चिकित्सालय में उसका इलाज चल रहा है। उसका वजन लगभग 40 किलो है। हालत में सुधार है। इस अस्पताल में पिछले कुछ समय से हर महीने इसी तरह के श्वानों के छह से आठ मामले आ रहे हैं, जबकि करीब चार साल पहले तक यह संख्या बामुश्किल एक थी।

यह कहानी है एक लेब्राडोर डॉग की। इस अस्पताल में हर महीने श्वानों में हार्ट फेल होने के छह से आठ मामले आ रहे हैं, जबकि करीब चार साल पहले एक केस बामुश्किल मिलता था। राज्य पशु चिकित्सालय के असिस्टेंट सर्जन डॉ. मुकेश तिवारी ने बताते हैं कि कतिपय इंसानों की तरह फैटी खाना और व्यायाम नहीं करने के चलते करीब 20 फीसद श्वान मोटापा (ओबेसिटी) के शिकार हैं।

मोटे होने पर दिल को ज्यादा काम करना पड़ता है, जिससे दिल की मांसपेशियां कमजोर पड़ने लगती है। इसके अलावा दिल की धमनियों में ब्लॉकेज की वजह से भी खून की पर्याप्त मात्रा शरीर को नहीं मिल पाती है। डायबिटीज और ब्लड प्रेशर (बीपी) का भी दिल पर असर प़़ड रहा है। इस कारण कंजेस्टिव हार्ट फेल्यर (सीएचएफ) की वजह से उनकी अचानक मौत हो जाती है।

राज्य पशु चिकित्सालय के उप संचालक डॉ. एचएल साहू ने बताया कि मोटापे के शिकार श्वानों में लगभग आधे को लाइफ स्टाइल से जुडी बीमारियां जैसे-- बीपी, डायबिटीज, थायराइड और दिल की समस्याएं हैं। बीपी व डायबिटीज के चलते किडनी खराब हो रही हैं। राज्य पशु चिकित्सालय में हर महीने करीब चार श्वानों की डायलिसिस शुरू हो रही है। श्वानों को डायबिटीज, बीपी और मोटापा से ऐसे बचाएं

-हर दिन कम से कम तीन किमी टहलाएं।

-श्वानों के लिए बाजार में मिलने वाला थेराप्यूटिक खाना ही खिलाएं।

-नॉनवेज में मछली या चिकन उबालकर खिला सकते हैं। मटन न खिलाएं।

-घर के खाने में सब्जी या चावल दे सकते हैं। जंक फूड, नमकीन, तेल से बनी चीजें, अंगूर और संतरा न दें।

वजन के हिसाब से करें मोटापे की पहचान

डॉ. मुकेश तिवारी ने बताया कि लेब्रोडोर डॉग का वजन 30 से 35 किलो, जर्मन शेफर्ड का 25 से 30 किलो, डाबरमैन का 30 से 32 किलो और पामेलियन व पब का 10 किलो से कम होना चाहिए। इससे दो--तीन किलो ज्यादा वजन मान्य है, पर इससे ज्यादा मोटापा की श्रेणी में आता है। भोपाल स्‍थित राज्य पशु चिकित्सालय के उप संचालक डॉ. एचएल साहू ने कहा कि इंसानों जैसी जीवन शैली श्वानों की भी हो गई है। उन्हें टहलाया नहीं जाता। जंक फूड और अन्य फैटी चीजें खिलाई जाती हैं, जिससे वे मोटे हो रहे हैं। उन्हें डायबिटीज व बीपी हो रहा है। किडनी फेल होने पर डायलिसस करना पड़ रहा है।


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