CRPF कॉन्स्टेबल ने अधिकारी को बदनाम करने भेजा था आपत्तिजनक मैसेज, हाईकोर्ट ने फिर से नौकरी पर बहाल करने से किया इनकार
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक कॉन्स्टेबल को फिर से नौकरी पर बहाल करने से इनकार कर दिया, जिसे अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई थी। हाईकोर्ट ने पाया कि कॉन्स्टेबल ने एक अधिकारी को बदनाम करने के इरादे से 200 अन्य कर्मचारियों को एक आपत्तिजनक वॉट्सऐप (WhatsApp) मैसेज भेजा था। जस्टिस मनमोहन और जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने कॉन्स्टेबल की याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि उसका यह कहना कि उच्च अधिकारियों को सूचना देने के इरादे से मैसेज भेजा गया था, तथ्यों के विपरीत है।
याचिकाकर्ता कॉन्स्टेबल ने जो मैसेज भेजा था उसके मुताबिक, एक कंपनी कमांडर किसी वेश्या के साथ होटल के कमरे में थे। बेंच ने एक सितंबर को सुनाए गए आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता ने एसी (नाम उजागर नहीं किया गया) का नाम और उनकी छवि खराब करने के उद्देश्य से तथ्यों की जांच किये बगैर और सत्य का पता लगाने के लिए उच्च अधिकारियों से पूछे बिना वॉट्सऐप संदेश को सीआरपीएफ के दो सौ कर्मचारियों को भेजा था। हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने एक वॉट्सऐप ग्रुप में मैसेज भेजा था जिसमें सीआरपीएफ के दो सौ कर्मचारी सदस्य थे और कॉन्स्टेबल उसका 'एडमिनिस्ट्रेटर था। कॉन्स्टेबल ने संदेश के साथ एक फोटो भी भेजा था जो इंटरनेट की गति कम होने के कारण अपलोड नहीं हो पाया था। हाईकोर्ट ने कहा कि दो सौ कर्मचारियों को मैसेज भेजने के बाद याचिकाकर्ता ने संबंधित डीआईजी (ऑपरेशन्स) को मैसेज भेजा। इसके साथ ही अदालत ने कॉन्स्टेबल की याचिका खारिज कर दी।