मध्य प्रदेश। कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर उज्जैन के सांदीपनी आश्रम में भक्तों की भीड़ उमड़ी। भक्तों ने उत्साह के साथ कृष्ण की पूजा अर्चना की। मंदिर को रोशनी और फूलों से सजाया गया।
#WATCH मध्य प्रदेश: कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर उज्जैन के सांदीपनी आश्रम में भक्तों की भीड़ उमड़ी। भक्तों ने उत्साह के साथ कृष्ण की पूजा अर्चना की। मंदिर को रोशनी और फूलों से सजाया गया। pic.twitter.com/utz841XYrh
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 19, 2022
जन्माष्टमी के दिन रात के 12:00 बजे श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. इस दिन डंठल और हल्की सी पत्तियों वाले खीरे को कान्हा की पूजा में उपयोग करें. रात के 12 बजते ही खीरे के डंठल को किसी सिक्के से काटकर कान्हा का जन्म कराएं. इसके बाद शंक बजाकर बाल गोपाल के आने की खुशियां मनाएं और फिर विधिवत बांके बिहारी की पूजा करें.
जन्म के समय जिस तरह बच्चे को गर्भनाल काटकर गर्भाशय से अलग किया जाता है, ठीक उसी प्रकार जन्मोत्सव के समय खीरे की डंठल को काटकर कान्हा का जन्म कराने की परंपरा है. जन्माष्टमी पर खीरा की डंठल काटने का मतलब है बाल गोपाल को मां देवकी के गर्भ से अलग करना. खीरे से डंठल को काटने की प्रक्रिया को नाल छेदन कहा जाता है.