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समृद्ध लोकतंत्र के लिए आलोचना एक शुद्धि यंत्र है: पीएम मोदी

jantaserishta.com
27 Jan 2023 7:56 AM GMT
समृद्ध लोकतंत्र के लिए आलोचना एक शुद्धि यंत्र है: पीएम मोदी
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नई दिल्ली (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि आलोचना लोकतंत्र के लिए शुद्धि यंत्र है। प्रधानमंत्री ने आलोचना को लोकतंत्र की एक शर्त भी बताया। दरअसल 'परीक्षा पे चर्चा' के दौरान कुछ छात्रों ने प्रधानमंत्री से पूछा कि आलोचना को आप कैसे लेते हैं। विपक्ष आपकी निंदा करता है तो आप उसे कैसे लेते हैं। क्योंकि हमें समझ नहीं आता जब हमारी निंदा होती है तो हमें क्या करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा कि परीक्षा देने के बाद जब आप घर आते हैं और यदि पता लगता है कि आप का कोई जवाब सही नहीं है तो आप कहते हो कि यह प्रश्न आउट ऑफ सिलेबस था। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि इसी तरह से आपके द्वारा पूछा गया यह प्रश्न भी आउट ऑफ सिलेबस है। हालांकि अपना जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जहां तक मेरी स्थिति है मैं मानता हूं कि आलोचना समृद्ध लोकतंत्र की पूर्व शर्त है। उन्होंने कहा कि समृद्ध लोकतंत्र के लिए आलोचना एक शुद्धि यंत्र है।
लेकिन कभी-कभी यह होता है कि आलोचना करने वाला कौन है उस पर सारा मामला सेट हो जाता है। मान लीजिए आपके यहां कोई फैंसी ड्रेस कंपटीशन है। आपने कोई ड्रेस पहनी और आपका प्रिय दोस्त कहता है कि यह ड्रेस अच्छी नहीं लग रही। तो आपका एक रिएक्शन होगा, लेकिन कोई ऐसा स्टूडेंट है जो आपका मित्र नहीं है, उसको देखकर नेगेटिव वाइब्रेशन आती है और वह कहें कि क्या पहन कर आए हो, ऐसे पहनते हैं क्या, तो आपका रिएक्शन दूसरा होगा। क्योंकि जब कोई आपका अपना आपको सलाह देता है तो आप सुधार करते हैं। लेकिन जब कोई आपको न पसंद करने वाला नेगेटिव व्यक्ति ऐसी आलोचना करता है तो उनकी बातों को नजरअंदाज कर दीजिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आलोचना करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है, विश्लेषण करना पड़ता है, भूतकाल देखना होता है, भविष्य देखना पड़ता है। लेकिन आजकल शॉर्टकट का जमाना है। लोग आजकल आलोचना नहीं करते, आरोप लगाते हैं। आरोप और आलोचना के बीच में बहुत बड़ी खाई है। हम आरोपों को आलोचना न समझें।
प्रधानमंत्री ने कहा आलोचना को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए। आलोचना हमें जिंदगी निर्माण करने में काम आती है। वह कहते हैं कि यदि आपने किसी अच्छे मकसद के लिए काम किया है तो आरोपों की बिल्कुल चिंता मत कीजिए। प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा कि मां-बाप आलोचना नहीं करते हैं। वह टोका-टोकी करते हैं और आपको जो गुस्सा आता है वह टोका-टोकी पर आता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं मां-बाप से आग्रह करूंगा कि अपने बच्चों की भलाई के लिए आप इस टोका टोकी से बाहर निकलिए।
गौरतलब है कि 15 फरवरी से दसवीं और बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं शुरू होने जा रही है। बोर्ड परीक्षाओं के तनाव से निपटने एवं उबरने के लिए प्रधानमंत्री छात्रों के साथ परीक्षा पर चर्चा कर रहे हैं।
एक छात्रा ने प्रधानमंत्री से कहा कि वह एवरेज है, कैसे वह परीक्षा के दबाव को कम करे, छात्रों ने परीक्षा में बेहतर परिणाम लाने के दबाव पर भी प्रधानमंत्री से प्रश्न पूछा। इस पर प्रधानमंत्री ने छात्रा को बधाई देते हुए कहा कि यह अच्छी बात है कि आप जो हैं उसको जानती हैं। कई लोग ऐसे हैं जो कि औसत से भी नीचे हैं लेकिन अपने आप को बेहतरीन समझते हैं। अर्थात वह अपना सही मूल्यांकन नहीं कर पाते। प्रधानमंत्री ने अभिभावकों से भी अपने बच्चों का सही मूल्यांकन करने को कहा। प्रधानमंत्री ने कहा कि सामान्य औसत होना कोई खराब बात नहीं है क्योंकि ज्यादातर लोग औसत ही होते हैं, बहुत ही कम लोग एक्स्ट्राऑर्डिनरी होते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया में विभिन्न देशों की आर्थिक स्थिति की चर्चा हो रही है। ऐसा नहीं है कि दुनिया के पास अर्थव्यवस्थाओं की कमी है, दुनिया में बड़े-बड़े नोबेल पुरस्कार विजेता हैं जो आर्थिक स्थिति पर बड़ी-बड़ी राय दे सकते हैं। ऐसी स्थिति में आज विश्व भारत की ओर देख रहा है लेकिन पहले हमें भी औसत बोला गया। हमारी सरकार को, हमें एवरेज बोला गया लेकिन आज वही लोग हमारी ओर देख रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऑर्डिनरी लोगों में भी कुछ न कुछ एक्स्ट्राऑर्डिनरी होता है।
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