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कॉलेजों पर मंडराया संकट, आनन-फानन में लागू किया सेमेस्टर सिस्टम

Admin Delhi 1
1 Dec 2022 1:54 PM GMT
कॉलेजों पर मंडराया संकट, आनन-फानन में लागू किया सेमेस्टर सिस्टम
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कोटा न्यूज़: कोटा विश्वविद्यालय ने नई शिक्षा नीति के तहत संबद्ध सभी राजकीय व निजी महाविद्यालयों में सीबीसीएस स्कीम के तहत सेमेस्टर प्रणाली लागू कर दी है। यह स्कीम वर्तमान सत्र 2022-23 से ही स्नातकोत्तर विषयों में प्रभावी की गई है। इसके तहत अब पीजी प्रिवियस की परीक्षाएं सेमेस्टर वाइज होंगी। विश्वविद्यालय के निर्णय को हाड़ौती के अधिकतर राजकीय कॉलेजों के प्राचार्यों ने अव्यवहारिक मानते हुए छात्रों के साथ खिलवाड़ बताया है। दरअसल, कोटा यूनिवर्सिटी ने आधा सत्र बीतने के बाद नवम्बर में सेमेस्टर प्रणाली लागू की है, जबकि यह माह प्रिवियस के एडमिशन ही गुजर गया। इसके बावजूद अभी तक कई कॉलेजों में पीजी की सीटें पूरी नहीं भर सकी। ऐसे में खाली सीटों पर 10 दिसम्बर तक आवेदन लिए जा रहे हैं। इसके बाद एग्जाम फार्म भरने की प्रक्रिया व शीतकालीन अवकाश में दिसम्बर भी बीत जाएगा और फरवरी में पहले सेमेस्टर की परीक्षाएं करवाना संभावित है। ऐसे में प्रिवियस के विद्यार्थियों का न तो सिलेबस पूरा हो पाएगा और न ही परीक्षा की तैयारी। वहीं, कॉलेज प्रशासन के लिए ऐसी स्थिति में एग्जाम करवाना चुनौती बन गया।

7 माह में कैसे होंगे 2 सेमेस्टर के एग्जाम: विश्वविद्यालय ने कॉलेजों में साधन-संसाधनों व जमीनी हकीकत परखे बिना ही सेमेस्टर सिस्टम लागू कर दिया। इससे कॉलेजों की शिक्षण व्यवस्था में अमूलचूल परिवर्तन होने के साथ परीक्षा करवाना चुनौति बन गया। जबकि, यूनिवर्सिटी को पहले शिक्षण सत्र पटरी पर लाने की कोशिश करनी चाहिए थी। जहां सालभर में 6-6 माह में 2 सेमेस्टर की परीक्षा होनी चाहिए वहां अब 7 माह में ही करवाई जाएगी। पहले सेमेस्टर की परीक्षा संभवत: फरवरी में करवाई जानी है, जबकि, नवीन शिक्षण सत्र 1 जुलाई से ही शुरू हो जाता है। ऐसे में दिसम्बर 2022 से जून 2023 तक 7 माह हो रहे हैं। इस अवधि में दो सेमेस्टर की परीक्षा और सिलेबस पूरा करवाना कॉलेज प्रशासन के लिए आसान नहीं होगा।

सेमेस्टर : यह है नम्बर की गणित: नए सेमेस्टर स्कीम में वाणिज्य व कला में एक सेमेस्टर में विद्यार्थियों को 4 विषय पढ़ाए जाएंगे। दो साल में विद्यार्थियों को कुल 16 विषय की परीक्षा देनी होगी। इसमें मुख्य पेपर 100 अंक का होगा, जो पांच इकाइयों में विभाजित होगा। इसके अतिरिक्त 16 विषयों के अलग से 50 अंक के आंतरिक मूल्यांकन टेस्ट महाविद्यालयों में आयोजित किए जाएंगे। इसमें से 30 अंक का इंटरनल टेस्ट व 20 नंबर का वाइवा प्रजेन्टेशन होगा। दो साल में कुल 800 नंबर इंटरनल के अंक हासिल करने के लिए विद्यार्थियों को नियमित कक्षाओं में आना पड़ेगा और इंटरनल व वाइवा में भाग लेना होगा।

परीक्षा स्कीम में ये हुआ बदलाव: सेमेस्टर सिस्टम के तहत कला व वाणिज्य स्नातकोत्तर में अब एक वर्ष में दो सेमेस्टर होंगे एवं मुख्य परीक्षाएं साल में दो बार आयोजित होंगी। विषय एक्सपर्ट की मानें तो जनवरी में आंतरिक मूल्यांकन व फरवरी में प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा का आयोजन कोटा विवि करवा सकता है।

हाड़ौती के कई पीजी कॉलेजों में नहीं पर्याप्त संसाधन: सूत्रों के अनुसार शहर के राजकीय कॉलेज संसाधनों की दृष्टि से बेहतर स्थिति में है। लेकिन ग्रामीण सहित संभाग के अन्य जिलों के महाविद्यालयों में संसाधनों की कमी ज्यादा है। हायर एज्युकेशन में सरकार का स्टैंडर्ड रिक्वायरमेंट कहीं भी पूरा नहीं होता। वहीं, प्रैक्टिकल सब्जेक्ट हो तो लैब में संसाधनों की कमी रहेगी। वर्तमान एडमिशन प्रक्रिया को देखते हुए शिक्षकों का सिलेबस पूरा करवाना और कॉलेज प्रशासन का एग्जाम करवाना बहुत मुश्किल होगा।

ये होंगे नुकसान:

2 साल की डिग्री करने के लिए अब विद्यार्थियों को 4 बार परीक्षा फॉर्म भरने होंगे। जबकि, पहले 2 बार ही फॉर्म भरने होते थे।

अभी तक प्रिवियस व फाइनल इयर में दो बार ढाई-ढाई हजार रुपए परीक्षा फीस देनी होती है। लेकिन, सेमेस्टर सिस्टम लागू होते ही दो साल में चार सेमेस्टर के 10 हजार रुपए एग्जाम फीस देनी होगी। ऐसे में डिग्री पूरी करने में विद्यार्थियों को 5 हजार रुपए का अतिरिक्त नुकसान भुगतना पड़ेगा।

महाविद्यालयों में दो-दो बार एग्जाम होंगे तो शेष अन्य विषयों के विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होना निश्चित है।

कॉलेजों में अभी शैक्षणिक सत्र देरी से चल रहा है। ऐसे में समय पर सिलेबस पूरा करवाना चुनौतीपूर्ण होगा।

अधिकतर राजकीय कॉलेजों में शिक्षकों की कमी है, ऐसे में 6-6 माह में एग्जाम करवाने में कार्यरत स्टाफ की ड्यूटी लगने से यूजी के विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होगी।

फरवरी में एग्जाम, कैसे होगी तैयारी: सेमेस्टर प्रणाली के तहत कॉलेजों में पीजी प्रिवियस की परीक्षा 6-6 माह साल में दो बार होगी। पहले सेमेस्टर की परीक्षा फरवरी में होना संभावित है। लेकिन, अभी तक प्रिवियस के एडमिशन प्रक्रिया पूरी नहीं हुई। हाड़ौती में कई कॉलेज ऐसे हैं जहां सीटें खाली रहने से 10 दिसम्बर तक प्रवेश के लिए आवेदन लिए जाएंगे। 12 दिसम्बर तक द्वितीय फाइनल प्रवेशित सूचि जारी होगी। इसके बाद एग्जाम फॉर्म व शीतकालीन अवकाश में दिसम्बर माह भी समाप्त हो जाएगा। जनवरी में कक्षाएं लगाकर भी एक माह में सिलेबस पूरा नहीं हो पाएगा। विद्यार्थियों को तैयारी तक का मौका नहीं मिल पाएगा।

परीक्षा से पहले कैसे होगी 90 दिन क्लास: यूजीसी नियमानुसार परीक्षा से पहले 90 दिन की क्लास पूरी होना जरूरी है। इसके बाद ही परीक्षाएं आयोजित करवाई जा सकती है लेकिन, राजकीय महाविद्यालयों में पीजी प्रिवियस के पहले सेमेस्टर की परीक्षा से पहले 90 दिन कक्षाएं पूरी नहीं हो पाएगी। यदि, परीक्षा फरवरी की जगह मार्च में करवाई जाती है तो दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा एक माह आगे खिसकेगी। जिससे नवीन शैक्षणिक सत्र डिले होगा।

दो बार देनी होगी एग्जाम फीस: प्रिवियस पूरा करने के लिए अब विद्यार्थियों को 6-6 माह में दो बार परीक्षा देनी होगी। जिसके लिए उन्हें दो बार ही एग्जाम फॉर्म भरना होगा। पहले एनुअल स्कीम के तहत एक बार ही एग्जाम फीस ढाई हजार रुपए लगते थे लेकिन अब विद्यार्थियों को ढाई हजार रुपए अतिरिक्त देने होंगे। ऐसे में प्रत्येक स्टूडेंट्स पर परीक्षा फीस के रूप में 5 हजार रुपए का अतिरिक्त भार पड़ेगा।

फायदे : कॉलेजों में स्टूडेंट्स की उपस्थिति भी बढ़ेगी

जेडीबी कॉलेज में समाजशास्त्र की प्रोफेसर ज्योति सिड़ाना ने बताया कि सेमेस्टर सिस्टम से फीस के रूप में विद्यार्थियों को भले ही नुकसान हो सकता हो लेकिन इसके फायदे भी हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की नई शिक्षा निति से महाविद्यालयों में विद्यार्थियों की उपस्थिति बढ़ेगी। साथ ही विद्यार्थियों की परसेंटेज भी बढ़ेगी। जिससे वे अन्य राज्यों के विद्यार्थियों के बराबर पहुंच सकेंगे। सेमेस्टर के रूप में पेपर बढ़ने से स्टूडेंट्स को क्वालिटी कंटेंट मिलेगा। परीक्षा में पास होने वाले छात्रों का प्रतिशत भी बढ़ जाएगा। साथ ही कम्पीटिशन की भावना भी बढ़ेगी और स्कील भी डवलप होगी।

परिस्थतियों से निपटना होगा मुश्किल: एनुअल स्कीम में परीक्षाएं करवाने में ही तीन माह का समय गुजर जाता है, ऐसे में 6-6 माह में सेमेस्टर एग्जाम करवाना और कोर्स पूरा करवाना दोनों ही मुश्किलभरा है। यूनिवर्सिटी को यह प्रणाली अगले सत्र से शुरू करवानी चाहिए थी, ताकि शिक्षक और विद्यार्थी दोनों ही नई व्यवस्था के प्रति मानसिक रूप से तैयार रहते। वर्तमान में पीजी प्रिवियस में एडमिशन प्रक्रिया चल रही है। सेमेस्टर के हिसाब से उन्हें परीक्षा की तैयारी का पर्याप्त समय नहीं मिल पाएगा।

- डॉ. संदीप यादव, एसोसिएट प्रोफेसर, राजकीय गर्ल्स महाविद्यालय बूंदी

चुनौतीपूर्ण हैं परीक्षाएं करवाना: महाविद्यालयों में अभी 40 तरह के विषयों की परीक्षाएं साल में एक बार ही सम्पन्न करवाई जाती है। जिसमें 3 माह का समय लगता है। सेमेस्टर सिस्टम लागू होने के साथ हर 6 महीने में परीक्षाएं करवाने में एक से डेढ़ माह का समय अतिरिक्त लगेगा। ऐसे में कॉलेजों में परीक्षाएं करवाने में ही पांच माह बीत जाएंगे। वहीं, परीक्षा में प्रोफेसरों की ड्यूटी लगने से बीए, बीकॉम व अन्य संकाय के विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होगी। इस व्यवस्था से न तो समय पर परीक्षाएं होंगी और न ही सिलेबस पूरा होगा। जिसका दुष्प्रभाव परीक्षा परिणाम के रूप में सामने आएगा। कोटा यूनिवर्सिटी को कॉलेज प्राचार्यों व संकाय सदस्यों से विचार विमर्श करने के बाद ही सेमेस्टर सिस्टम लागू किया जाना चाहिए था।

- डॉ. रघुराज सिंह परिहार, जोनल सचिव, एआईएफयूसीपीओ

विवि ने आनन फानन में लागू की सेमेस्टर प्रणाली: कोटा विवि ने सेमेस्टर प्रणाली आनन फानन में लागू की है। जबकि, सत्र को नियमित की कोशिश की जानी चाहिए थी। नवम्बर तक एडमिशन हो रहे हैं, दिसम्बर एग्जाम फॉर्म व शीतकालीन अवकाश में गुजर जाएगा। जनवरी में कक्षाएं लगाकर भी फरवरी तक सिलेबस पूरा नहीं हो पाएगा। वहीं, परीक्षा करवाना चूनौतीपूर्ण होगा। सेमेस्टर लागू करने से पहले विवि को सभी कॉलेज प्रतिनिधियों से व्यवहारिक पक्ष जानना चाहिए था, जो नहीं किया और सैदांतिक पक्ष थोप दिया। इस निर्णय से शिक्षक और विद्यार्थियों पर मानसिक दबाव दबाव बढ़ा है।

- डॉ. एनके जायसवाल, प्राचार्य बूंदी राजकीय महाविद्यालय

आधा सत्र बीतने के बाद सेमेस्टर लागू करना सही नहीं: आधा शैक्षणिक सत्र बीतने के बाद विश्वविद्यालय ने सेमेस्टर प्रणाली लागू की है जो व्यवहारिक नहीं है। महाविद्यालयों में अभी तक एडमिशन प्रक्रिया जारी है। पिछले कुछ माह पहले विवि ने कॉलेज प्रतिनिधियों की बैठक बुलाई थी, जिसमें कोटा गवर्नमेंट कॉलेज के प्राचार्यों ने वर्तमान सत्र से सेमेस्टर लागू करने पर असहमति जताई थी क्योंकि सत्र लेट होने पर कई तरह की चुनौतियां सामने हैं। समय की कमी के चलते विद्यार्थियों को परीक्षा की तैयारी का मौका नहीं मिल पाएगा। वहीं, कॉलेजों में लगातार परीक्षाएं होने से यूजी के विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होगी।

- डॉ. फूल सिंह, प्राचार्य, राजकीय महाविद्यालय झालावाड़

पीजी प्रिवियस के एग्जाम सेमेस्टर से होंगे लेकिन अभी तक एग्जाम की तिथि को लेकर कोई निर्णय नहीं किया गया है।

- प्रवीण भार्गव, परीक्षा नियंत्रक कोटा विश्वविद्यालय

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