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विधायक और पूर्व IAS अफसर पर कसा शिकंजा, पूछताछ के बाद हड़कंप

jantaserishta.com
31 March 2024 11:11 AM GMT
विधायक और पूर्व IAS अफसर पर कसा शिकंजा, पूछताछ के बाद हड़कंप
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पुलिस अधिकारियों ने दोनों से तीन घंटे तक पूछताछ की।
शिमला: हिमाचल प्रदेश में एक सीट पर हुए राज्यसभा चुनाव में कथित खरीद-फरोख्त मामले में नामजद हमीरपुर से निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा और गगरेट के पूर्व विधायक चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा शनिवार को बालूगंज पुलिस थाने में पेश हुए। जानकारी अनुसार इस दौरान पुलिस अधिकारियों ने दोनों से तीन घंटे तक पूछताछ की। पूर्व विधायक चैतन्य शर्मा के पिता के एनजीओ पर भी पुलिस जांच कर रही है। आशीष शर्मा पिछले कल भी बालूगंज पुलिस थाने पहुंचे थे, जबकि राकेश शर्मा ने आज पहली बार थाने में हाजिरी भरी।
दोनों को पुलिस जांच में शामिल करने के बाद पुलिस ने उनके ब्यान दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस पता लगा रही है कि राज्यसभा चुनाव की वोटिंग के बाद कांग्रेस के छह बागी पूर्व विधायकों और तीन निर्दलीय विधायकों के चंडीगढ़ और उतराखंड के होटलों में ठहरने और उनका हवाई यात्रा का खर्चा किसने उठाया।
बता दें कि विधायक आशीष शर्मा और सेवानिवृत्त आईएएस राकेश शर्मा के विरूद्ध शिमला के बालूगंज पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज हुई है। एफआईआर में इनके अलावा अन्य अज्ञात लोगों को भी नामजद किया गया है। आरोपितों के खिलाफ विभिन्न आपराधिक धाराएं लगाई गई हैं। कांग्रेस के दो विधायकों संजय अवस्थी और भुवनेश्व गौड़ की शिकायत पर पुलिस ने यह ऐक्शन लिया है।
शिकायत के मुताबिक कांग्रेस के बागी पूर्व विधायक के पिता और निर्दलीय विधायक पर राज्यसभा चुनाव में वोटों की खरीद-फरोख्त करने, रिश्वत और पैसों के लेन-देन का आरोप लगा है। इन पर राज्यसभा चुनाव को गलत तरीके से प्रभावित करने का भी आरोप है। शिकायतकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया है कि आरोपियों ने सरकार गिराने के लिए षड्यंत्र रचा। गगरेट के पूर्व विधायक चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा उतराखण्ड में मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।
दरअसल एफआईआर में 171 ई और 171सी, 120 बी और र्भ्ष्टाचार निवारण अधिनियम के सेक्शन 7 और 8 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है। माना जा रहा है कि जांच आगे बढ़ने पर एफआईआर में क्रॉस वोटिंग करने वाले कांग्रेस के अन्य पूर्व विधायकों की भी मुश्किलें बढ़ सकती है।
हिमाचल प्रदेश में 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव हुआ था। उस दौरान नौ विधायकों की क्रॉस वोटिंग की वजह से यह सीट भाजपा के खाते में चली गई। भाजपा के उम्मीदवार हर्ष महाजन ने कांग्रेस के दिग्गज नेता अभिषेक मनु सिंघवी को पराजित किया। दरअसल क्रॉस वोटिंग के बाद भी दोनों दलों के उम्मीदवारों को 34-34 वोट मिले थे, जिसके बाद पर्ची के जरिए विजेता उम्मीदवार का फैसला हुआ था।
राज्यसभा चुनाव के अगले दिन हिमाचल विधानसभा में बजट पारित होने के दौरान कांग्रेस के छह विधायक नदारद रहे। इस पर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने इन्हें अयोग्य ठहराते हुए इनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी।
विधानसभा अध्यक्ष द्वारा छह सीटों को रिक्त अधिसूचित करने के बाद केंद्रीय चुनाव आयोग ने इन अयोग्य विधायकों के विधानसभा क्षेत्रों में आगामी पहली जून को विधानसभा उपचुनाव घोषित कर दिए हैं। छह अयोग्य विधायक बीते सप्ताह भाजपा में शामिल हो गए हैं। भाजपा ने इन्हें इनके निर्वाचन क्षेत्रों से अपना उम्मीदवार बनाया है। इसी तरह तीन निर्दलीय विधायक भी अपनी विधानसभा सदस्या से इस्तीफा दे चुके हैं। हालांकि विस अध्यक्ष ने उनके इस्तीफे को अभी तक स्वीकार नहीं किया है।
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