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देशभर की अदालतें जल्द होगी पेपरलेस : सीजेआई चंद्रचूड़

Nilmani Pal
7 May 2023 1:52 AM GMT
देशभर की अदालतें जल्द होगी पेपरलेस : सीजेआई चंद्रचूड़
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ओड़िशा। CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग का उल्टा असर हुआ है. उन्होंने न्यायाधीशों को प्रशिक्षित करने की भी जरूरत बताई और कहा कि वे जो भी कहते हैं वह सोशल मीडिया के इस युग में सार्वजनिक है. ओडिशा न्यायिक अकादमी में डिजिटाइजेशन, पेपरलेस कोर्ट और ई पहल पर राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि देश भर की अदालतें जल्द ही पेपरलेस हो सकती हैं.

उन्होंने कहा, "हम सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ की कार्यवाही के ट्रांसक्रिप्शन के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग कर रहे हैं. वकीलों को किसी भी त्रुटि को दूर करने के लिए ट्रांसक्रिप्ट दी जाती है." उन्होंने कहा, "एआई संभावनाओं से भरा है. आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि एक न्यायाधीश 15,000 पन्नों के रिकॉर्ड में एक वैधानिक अपील में सबूत को पचाएगा? एआई आपके लिए पूरा रिकॉर्ड तैयार कर सकता है." हालाँकि, CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि AI का एक दूसरा पहलू भी है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को हमें यह बताने में बहुत मुश्किल होगी कि एक आपराधिक मामले में क्या सजा दी जाए,"

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम जो डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना चाहते हैं, उसमें पहला पेपरलेस कोर्ट है और दूसरा वर्चुअल कोर्ट है. उन्होंने कहा, 'आज ज्यादातर हाई कोर्ट यूट्यूब पर लाइव स्ट्रीमिंग कर रहे हैं, लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है. उन्होंने पटना हाईकोर्ट की कार्यवाही का जिक्र किया जिसमें हाई कोर्ट ने आईएएस अफसर से सवाल किया कि वह ढंग से कपड़े पहनकर क्यों नहीं आए. वहीं गुजरात हाई कोर्ट ने जज ने महिला वकील से पूछा कि वह केस के लिए अच्छे से तैयारी करके क्यों नहीं आई.' यूट्यूब पर कई फनी चीजें चल रही हैं जिन पर लगाम लगाने की जरूरत है, क्योंकि कोर्ट की प्रोसिडिंग में जो होता है वह, बेहद गंभीर होता है.

CJI ने कहा कि लाइव स्ट्रीमिंग का एक दूसरा पक्ष भी है, और न्यायाधीशों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है क्योंकि सोशल मीडिया के युग में अदालत में उनके द्वारा कहे गए प्रत्येक शब्द सार्वजनिक दायरे में हैं. उन्होंने कहा, "जब हम संविधान पीठ की दलीलों का सीधा प्रसारण करते हैं तो हमें इसका अहसास होता है. उन्होंने कहा कि बहुत बार नागरिकों को यह एहसास नहीं होता है कि सुनवाई के दौरान जज जो कहते हैं वह बातचीत शुरू करने के लिए होता है.


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