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नई दिल्ली. राजधानी दिल्ली की एक निचली अदालत ने भारतीय जनता पार्टी के विधायक विजेंद्र गुप्ता को समन जारी किया है. कोर्ट ने केजरीवाल सरकार के कैबिनेट मंत्री एवं आम आदमी पार्टी (आप) के नेता कैलाश गहलोत द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले में सोमवार को यह समन जारी किया. गुप्ता ने दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की 1000 लो-फ्लोर बसों की खरीद में कथित घोटाले का आरोप लगाया था, जिसके बाद गहलोत ने आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराते हुए कहा था कि भाजपा नेता ने राजनीतिक लाभ के लिए उनकी छवि बिगाड़ने का अपराध किया है.
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रवीन्द्र कुमार पांडेय ने कहा कि गुप्ता को अभियुक्त के तौर पर समन करने के लिए प्रथम-दृष्टया पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं. न्यायाधीश ने कहा, ''मौखिक दलीलों, रिकॉर्ड पर लाये गये दस्तावेज और समन से पहले शिकायतकर्ता एवं उनके गवाहों के बयान से साबित किये जाने के आधार पर इस अदालत का सुविचारित मत है कि अभियुक्त विजेंद्र गुप्ता ने प्रथम-दृष्टया भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं- 499, 500 और 501 (सभी मानहानि से संबंधित) के तहत सजा के प्रावधानों वाला अपराध किया है.'' गुप्ता को 16 नवम्बर को तलब किया गया है.
अपमानजनक और निंदनीय' आरोप लगाए गए थे
दिल्ली के परिवहन मंत्री गहलोत ने अपनी शिकायत में कहा था कि गुप्ता ने जान बूझकर और कुत्सित इरादों से उन्हें अपमानित किया और राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए उनकी छवि खराब करने का प्रयास किया. उन्होंने आरोप लगाया कि गुप्ता ने, मौखिक रूप से और लिखित में भी, उनके खिलाफ अपमानजनक, निंदनीय, शरारतपूर्ण और झूठे आरोप लगाये. शिकायत में कहा गया है कि ''दिल्ली के निवासियों को बड़ी राहत देने की सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना'' को रोकने के लिए अभियुक्त द्वारा 'अपमानजनक और निंदनीय' आरोप लगाए गए थे.
अधिकतम दो साल जेल की सजा हो सकती है
याचिका में आरोप लगाया गया है, ''आरोपी ने दिल्ली के लोगों को आम आदमी पार्टी के पक्ष में मतदान करने के लिए सबक सिखाने के इरादे से शिकायतकर्ता के खिलाफ अपमानजनक, गलत और झूठे आरोप लगाए.'' इसमें दावा किया गया है कि उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा क्लीन चिट दिए जाने के बावजूद गुप्ता ने लो-फ्लोर बसों की खरीद के संबंध में परिवहन मंत्री की ईमानदारी पर संदेह करते हुए बेरोकटोक ट्वीट किए थे. इसमें कहा गया है कि दिल्ली सरकार ने बसों के लिए निविदा जारी की थी और तय प्रक्रिया के बाद टाटा कंपनी को ऑर्डर दिया गया था लेकिन अनावश्यक आरोप लगाए गए. दोषी पाए जाने पर गुप्ता को अधिकतम दो साल जेल की सजा हो सकती है.
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