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कोर्ट ने राजधानी पुलिस को लगाई कड़ी फटकार, पुलिस की कार्रवाई पर की तल्ख टिप्पणी
Rounak Dey
29 Dec 2020 1:53 AM GMT

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फाइल फोटो
सरेंडर करने पहुंचे आरोपी को पुलिस ने किया था गिरफ्तार
हत्या के एक मामले में आरोपी शख्स कोर्ट के आदेश पर सरेंडर करने जा रहा था. सरेंडर करने जा रहे शख्स को दिल्ली पुलिस ने तिहाड़ जेल के सामने से ही गिरफ्तार कर लिया था. इसे लेकर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा है कि पुलिस को गिरफ्तारी का अधिकार आरोपी को डराने धमकाने के लिए नहीं, जांच करने के लिए दिया गया है.
साकेत कोर्ट के जज राघव शर्मा ने अपने आदेश में कहा है कि पुलिस को गिरफ्तारी का अधिकार मामले की तफ्तीश करने के लिए दिया जाता है, जबकि इस मामले में सीधे तौर पर पुलिस ने गिरफ्तारी के मिले अधिकार का गलत इस्तेमाल किया है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से गिरफ्तारी को लेकर जारी की गई गाइडलाइंस का भी यह घोर उल्लंघन है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पुलिस को किसी आरोपी को गिरफ्तार करने का अधिकार इसलिए नहीं दिया गया है कि वह आरोपी को इसकी आड़ में डराए या धमकाए.
कोर्ट ने कहा है कि जांच एजेंसी को गिरफ्तारी का अधिकार उसके कर्तव्य को पूरा करने के लिए दिया गया है. इसमें कोई शक नहीं कि किसी भी मामले की जांच के लिए पुलिस के लिए किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करना जरूरी हो सकता है लेकिन यह गिरफ्तारी कानून में दिए गए प्रावधानों और मजबूत कारणों के आधार पर होनी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में की गई गिरफ्तारी न तो कानून में दिए गए प्रावधानों को पूरा करती दिखी और ना ही पुलिस के पास गिरफ्तारी के पुख्ता कारण थे. यहां तक कि गिरफ्तारी कर रहे पुलिसकर्मियों ने गिरफ्तार करने वाले व्यक्ति को अपना पहचान पत्र दिखाना भी उचित नहीं समझा. पुलिसकर्मियों की ओर से ऐसा करके गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के अधिकारों का हनन किया गया.
अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि इस पूरे मामले में कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. कोर्ट ने इस मामले में इलाके के डीसीपी को निर्देश दिए कि पुलिस स्टाफ को संवेदनशीलता से आगे काम करने के निर्देश दें. कोर्ट ने डीसीपी को कहा है कि वे अपने स्टाफ को बताएं कि किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी करने के दौरान किन कानूनी प्रावधानों का पालन किया जाना जरूरी है जो सीआरपीसी 1973 के अंतर्गत दर्ज है. दरअसल, नवंबर में एक युवक की हत्या के मामले में दर्ज की गई एक एफआईआर में सरेंडर करने वाले आरोपी को कंस्पिरेटर के तौर पर दिखाया गया था. एफआईआर में नाम आने के बाद आरोपी कार्तिक ने कोर्ट में अर्जी लगाई कि वह खुद सरेंडर करना चाहता है. तिहाड़ कॉम्प्लेक्स में सरेंडर के लिए जाते समय कार्तिक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था.
कोर्ट इस मामले पर पुलिस के एक्शन को लेकर बेहद नाराज दिखा है. 22 दिसंबर को कार्तिक नाम के एक व्यक्ति को कोर्ट ने उसकी अर्जी पर हत्या से जुड़े एक मामले में तिहाड़ में सरेंडर करने के आदेश दिए थे. आरोपी सरेंडर करने के लिए तिहाड़ में पहुंच भी गया, लेकिन जब वह रजिस्टर पर साइन करने के लिए जा रहा था, उसी दौरान सादी वर्दी में पहुंचे पुलिसकर्मियों ने उसके और उसके वकील के साथ मारपीट की. उसे घसीटकर एक गाड़ी में डालकर ले गए. पुलिसकर्मी न सिर्फ सादी वर्दी में थे, बल्कि जिस गाड़ी का इस्तेमाल किया गया उस पर भी पुलिस का कोई स्टिकर नहीं था.
जब इस मामले की शिकायत आरोपी के वकील ने कोर्ट में की और कोर्ट ने वीडियो के माध्यम से देखा कि आरोपी तिहाड़ पहुंच चुका था. लेकिन उसके साथ मारपीट करके उसे गाड़ी में डाला गया. दरअसल इस पूरी घटना का वीडियो भी मामले से जुड़े वकील ने कैप्चर कर लिया और जज को जब वीडियो दिखाया गया तो कोर्ट पुलिस के एक्शन पर बेहद नाराज हुआ. कोर्ट इस बात पर नाराज था कि जब आरोपी खुद ही तिहाड़ कोर्ट के आदेश के बाद सरेंडर करने के लिए पहुंच गया था तो पुलिस को उसको गिरफ्तार करने की हड़बड़ी क्यों थी?
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