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कांग्रेस नहीं बची तो देश नहीं बचेगा : कन्हैया कुमार

Nilmani Pal
28 Sep 2021 12:29 PM GMT
कांग्रेस नहीं बची तो देश नहीं बचेगा : कन्हैया कुमार
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जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष और सीपीआई नेता रहे कन्हैया कुमार और गुजरात से विधायक जिग्नेश मेवानी ने आज कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के सामने उन्होंने पार्टी की सदस्यता हासिल की है। इससे पहले राहुल गांधी के साथ शहीद-ए-आज़म भगत सिंह पार्क में कन्हैया कुमार और गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी भी मौजूद थे। इसे मौके पर कन्हैया कुमार ने कहा, ''इस देश में कुछ लोग इस देश की चिंतन परंपरा, संस्कृति, मूल्य, वर्तमान और भविष्य खराब करने में लगे हैं। देश की सबसे पुरानी लोकतांत्रिक पार्टी में इसलिए शामिल होना चाहते हैं। कांग्रेस नहीं बची तो देश नहीं बचेगा।''

दोनों के कांग्रेस में शामिल होने पर पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, ''हम इन युवा नेताओं कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवाणी के साथ काम करने को लेकर आशान्वित हैं, ताकि देश पर शासन कर रही फासीवादी ताकतों को हरा सकें।'' रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, ''इन्होंने (कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवाणी) लगातार मोदी सरकार और हिटलरशाही की नीति के खिलाफ संघर्ष किया। हमारे इन साथियों को लगा कि ये आवाज़ और बुलंद हो पाएगी जब ये कांग्रेस और राहुल गांधी की आवाज़ में मिलकर एक और एक ग्यारह की आवाज़ बन जाएगी।''

कन्हैया कुमार: कन्हैया कुमार का ताल्लुक बिहार के बेगूसराय जिले से है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बेगूसराय लोकसभा सीट से चुनावी किस्तम भी आजमाई थी। हालांकि उन्हें भाजपा नेता गिरिराज सिंह के मुकाबले 4 लाख के बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। बेगूसराय में भूमिहार मतदाताओं की तादाद सबसे ज्यादा मानी जाती रही है और कन्हैया कुमार भी भूमिहार जाति से ही ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में वह खुद को साबित करने में विफल रहे। इसके बावजूद पार्टी मानती है कि बिहार में नए चेहरे की जरूरत है। छात्र नेता के तौर पर उन्हें संगठन का अनुभव है। बिहार कांग्रेस के नेता कहते हैं कि कन्हैया के आने से पार्टी को फायदा होगा क्योंकि कन्हैया वही मुद्दे और लड़ाई लड़ रहे हैं जिन्हें कांग्रेस उठाती रही है।

जिग्नेश मेवाणी: वर्ष 2017 के चुनाव में हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी की तिगड़ी ने अहम भूमिका निभाई थी। हार्दिक पटेल कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। वहीं, अल्पेश ठाकोर भाजपा में चले गए। पर जिग्नेश मेवाणी ने कभी कोई समझौता नहीं किया और वह लगातार भाजपा से लड़ते रहे हैं। गुजरात में सात फीसदी दलित हैं और उनके लिए 13 सीट आरक्षित हैं। पिछले चुनाव में अधिकतर आरक्षित सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। उस वक्त जिग्नेश मेवाणी अपनी सीट तक सीमित रहे थे और कांग्रेस ने उनके खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारा था। पर मेवाणी के कांग्रेस में आने से तस्वीर बदल सकती है।

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