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इन्सैट-3 डीएस के प्रक्षेपण के लिए उल्टी गिनती शक्रवार दोपहर 2.05 बजे से

Admin4
16 Feb 2024 8:05 AM GMT
इन्सैट-3 डीएस के प्रक्षेपण के लिए उल्टी गिनती शक्रवार दोपहर 2.05 बजे से
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चेन्नई। देश के नवीनतम मौसम उपग्रह इन्सैट-3डीएस के प्रक्षेपण के लिए उल्टी गिनती शुक्रवार दोपहर शुरू होगी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रक्षेपण शनिवार शाम प्रस्तावित है।
अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर आईएएनएस को बताया, "शुक्रवार को 14.05 बजे उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी। अपने 16वें मिशन में जीएसएलवी रॉकेट (कोड-नाम जीएसएलवी-एफ14) शनिवार शाम 5.35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित प्रक्षेपण केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से उड़ान भरेगा। कुल 420 टन वजन वाला 51.7 मीटर लंबा जीएसएलवी रॉकेट भारत के नवीनतम मौसम उपग्रह इन्सैट-3डीएस को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित करेगा।
बाद में इसकी कक्षा को चरणबद्ध तरीके से बदलकर इसे भू-स्थिर कक्षा में ले जाया जाएगा
पहले इसरो ने कहा था कि रॉकेट शाम 5.30 बजे उड़ान भरेगा लेकिन बाद में समय बदलकर शाम 5.35 बजे कर दिया गया। इनसैट-3डीएस भारत का तीसरी पीढ़ी का मौसम विज्ञान उपग्रह है और यह पूरी तरह से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित है। इसे मौसम की भविष्यवाणी और आपदा चेतावनी के लिए उन्नत मौसम संबंधी अवलोकन और भूमि तथा महासागर सतहों की निगरानी के लिए डिज़ाइन किया गया है।
यह उपग्रह वर्तमान में कार्यरत इनसैट-3डी और इनसैट-3डीआर उपग्रहों के साथ-साथ मौसम संबंधी सेवाओं को भी बढ़ाएगा। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत विभिन्न विभाग जैसे भारत मौसम विज्ञान विभाग, राष्ट्रीय मध्यम-सीमा मौसम पूर्वानुमान केंद्र, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र और विभिन्न अन्य एजेंसियां और संस्थान बेहतर मौसम पूर्वानुमान तथा मौसम संबंधी सेवाएं प्रदान करने के लिए इनसैट-3डीएस उपग्रह डेटा का उपयोग करेंगे।
इसरो ने कहा कि मिशन के प्राथमिक उद्देश्य हैं: पृथ्वी की सतह की निगरानी करना, मौसम संबंधी महत्व के विभिन्न वर्णक्रमीय चैनलों में समुद्री अवलोकन और उसके पर्यावरण को पूरा करना; वायुमंडल के विभिन्न मौसम संबंधी मापदंडों की ऊर्ध्वाधर प्रोफ़ाइल प्रदान करना; डेटा संग्रह प्लेटफार्मों (डीसीपी) से डेटा संग्रह और डेटा प्रसार क्षमताएं प्रदान करना; और उपग्रह सहायता प्राप्त खोज और बचाव सेवाएं प्रदान करना।
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