भ्रष्टाचार और गरीबी : मोदी सरकार इस बार भ्रष्टाचार के साथ साथ गरीबी निवारण समस्या का समाधान करेगी
जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1985 में भ्रष्टाचार की व्यापकता स्वीकारते हुए कहा था कि गरीबों के लिए भेजे जाने वाले एक रुपये में से केवल 15 पैसे ही जरूरतमंदों तक पहुंच पाते हैं। आज दिल्ली से भेजे गए एक रुपये में पूरे सौ पैसे लाभार्थियों तक पहुंच रहे हैं तो इसका कारण यह नहीं है कि भ्रष्ट तंत्र सुधर गया है। इसका श्रेय मोदी सरकार द्वारा हर स्तर पर बैठाए गए सूचना प्रौद्योगिकी रूपी चौकीदार को है, जिससे लीकेज प्रूफ नकद हस्तांतरण संभव हुआ। सूचना प्रौद्योगिकी आधारित डिजिटल इंडिया अभियान पारदर्शी, भेदभाव रहित और भ्रष्टाचार पर चोट करने वाला है। इससे समय, श्रम और धन की बचत हो रही है। इससे सरकारी तंत्र तक हर आदमी की पहुंच बनी है। मात्र छह वर्षों में डिजिटल इंडिया अभियान ने कामयाबी की तमाम गाथाएं लिखी हैं। उदाहरण के लिए डिजिटल इंडिया की बदौलत कोरोना महामारी के इस डेढ़ साल में ही भारत सरकार ने विभिन्न योजनाओं के तहत लगभग सात लाख करोड़ रुपये प्रत्यक्ष नकदी हस्तांतरण अर्थात डीबीटी के माध्यम से करोड़ों लोगों के बैंक खातों में भेजा। केवल भीम यूपीआई से ही हर महीने पांच लाख करोड़ रुपये का लेन-देन हो रहा है। अब तो सिंगापुर और भूटान में भी भीम यूपीआई के जरिये लेन-देन होने लगा है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत एक लाख 35 हजार करोड़ रुपये दस करोड़ से अधिक किसान परिवारों के बैंक खातों में भेजा गया।