कोरोना संक्रमण से जूझ रहे गांवों के लिए नैनीताल जिले के बेतालघाट ब्लॉक का खलाड़ गांव मिसाल बनकर उभरा है। यह प्रदेश का पहला ऐसा गांव है, जहां पंचायत ने अलग एसओपी बनाई है। इतना ही नहीं, ग्रामीण भी तय किए गए हर नियम को मानते हैं, जिसका नतीजा है कि पूरे कोरोना काल में यहां वायरस एंट्री नहीं कर सका है, जबकि आसपास के कई गांवों में कोविड संक्रमण से लगभग हाहाकार की स्थिति हैं। महामारी को मात देने के लिए मुख्य सड़क से करीब चार किमी दूर स्थित इस गांव की प्रधान नीरु बधानी ने ग्रामीणों के साथ मिलकर कुछ नए नियम तय किए।
खपत बढ़ी तो खुद सब्जी फलों का उत्पादन बढ़ाया - खलाड़ के ग्रामीण अपनी उगाई सब्जियां ही खाते हैं। जब बाकीगांव के लोग कोरेाना से जूझ रहे थे तो खलाड़ के लोग अपनी जागरूकता के बीच सब्जी उत्पादन बढ़ा रहे थे। ग्राम पंचायत अधिकारी पीतांबर आर्य के अनुसार जरूरत का बाकी सामान बाजार से पूरी एहतियात के साथ आता है। गांव में हुई तीन बारातों में भी कोरोना प्रोटोकॉल का पूरा पालन किया। जिससे कोई मामला सामने नहीं आया।
नियम और शर्तें - पहले उन्होंने खुद लोगों को वायरस के बारे में जागरूक किया। फिर ग्रामीणों को चेताया कि अगर वायरस गांव में पहुंचा गया तो बड़े-बूढ़ों के साथ बच्चों और मवेशियों के लिए भी जानलेवा होगा। ग्रामीणों ने वायरस की भयानकता को समझते हुए एकजुट होकर कुछ नियम और शर्तें तय कीं। इसका सख्ती से पालन किया, यहां आज तक कोरोना का एक भी केस नहीं मिला।
निगेटिव रिपोर्ट लाना अनिवार्य - प्रधान नीरु ने बताया कि सितंबर में नया नियम बनाया गया कि गांव में आने से पहले हर व्यक्ति की कोरेाना जांच नेगेटिव लानी होगी। ग्राम प्रहरियों और वार्ड सदस्यों को जिम्मेदारी भी दी गई है। गांवों में कोविड की निगरानी राजस्व उपनरीक्षक भी कर रहे हैं। यहां के राजस्व उपनिरीक्षक विजय नेगी के अनुसार गांववालों ने खुद के प्रयास से यहां काफी अच्छी व्यवस्था बनाई, जिसका यह परिणाम है।
क्या कहती है खलाड़ की एसओपी
-बाहर से आने वाले हर व्यक्ति को कोविड निगेटिव रिपोर्ट लानी अनिवार्य
-गांव से बाहर बने भवन में 14 दिन रहना होगा। भोजन-पानी परिवार देगा।
-गांव में ही उगने वाली सब्जी और फलों का अधिक प्रयोग करना होगा।
-हर घर में बुखार दवा रहेगी। बाहर से आने वाला हर सामान धोना होगा।