केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है जिसमें कोर्ट को बताया गया कि जायडस कैडिला (Zydus Cadila) ने 12-18 आयु वर्ग के लिए डीएनए आधारित अपनी कोरोना वैक्सीन ZyCoV-D का क्लिनिकल ट्रायल पूरा कर लिया है और यह जल्द ही उपलब्ध हो सकता है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अवर सचिव सत्येंद्र सिंह ने 15 जुलाई के एक हलफनामे में कहा, 'यह जानकारी दी गई है कि डीएनए वैक्सीन विकसित करने वाली जायडस कैडिला ने 12-18 आयु वर्ग के लिए अपना क्लिनिकल ट्रायल (clinical trial) सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है.' सत्येंद्र सिंह ने बताया कि अहमदाबाद स्थित जायडस कैडिला का डीएनए वैक्सीन अब "वैधानिक अनुमति हासिल करने के करीब है, यह निकट भविष्य में 12-18 आयु वर्ग के बच्चों के लिए उपलब्ध हो सकता है.
45 से 60 दिनों में रोलआउट की उम्मीद
हलफनामे के माध्यम से, केंद्र की ओर से टिया गुप्ता नाम की एक नाबालिग द्वारा दायर एक याचिका का जवाब दिया जा रहा था, जिसने 12 से 17 वर्ष की आयु के नाबालिगों के लिए तत्काल वैक्सीन की मांग की थी. पिछले महीने केंद्र सरकार (central government) ने सुप्रीम कोर्ट को इसकी जानकारी दी थी. दूसरी ओर, जायडस कैडिला ने 1 जुलाई को कहा था कि वे 45 से 60 दिनों के भीतर ZyCoV-D वैक्सीन को रोल आउट करने की योजना बना रहे हैं, जो कि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) की मंजूरी के अधीन है.
वैक्सीन निर्माताओं ने यह भी कहा था कि शुरुआत में, यह एक महीने में चार से पांच लाख डोज का उत्पादन कर सकता है, जो जुलाई के अंत से उनकी नई विनिर्माण सुविधा के शुरू होने के बाद मासिक रूप से यह क्षमता बढ़कर एक करोड़ तक पहुंच जाएगा. इस बीच, दिल्ली हाईकोर्ट में अपने नए हलफनामे में, केंद्र ने यह भी बताया कि डीसीजीआई ने भारत बॉयोटेक को अपने वैक्सीन, यानी कोवैक्सीन के लिए 2 से 18 साल की आयु के स्वस्थ स्वयंसेवकों (healthy volunteers) पर क्लिनिकल टेस्टिंग करने की अनुमति दी है. कोवैक्सीन ट्रायल (Covaxin trials) के लिए 12 मई को मंजूरी दी गई है.