भारत
किसान के बेटे को कोरोना ने छीना, 1 महीने पहले ही बने थे डॉक्टर
jantaserishta.com
27 May 2021 3:30 AM GMT

x
पिता खेतों में गन्ने की कटाई करने का काम करते हैं.
मुंबई: महाराष्ट्र के औरंगाबाद में राहुल पवार एक महीने पहले ही डॉक्टर बने थे. इस बात की खुशखबरी उन्होंने 25 अप्रैल को अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर एक तस्वीर शेयर करते हुए दी थी. इसके ठीक एक महीने बाद 26 मई को उन्होंने अलविदा कह दिया. कोरोना से जंग लड़ते हुए महज 25 साल की उम्र में उन्होंने दम तोड़ दिया. उनके दोस्त अब उनकी टाइमलाइन पर संवेदना व्यक्त कर रहे हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, राहुल पवार के पिता खेतों में गन्ने की कटाई करने का काम करते हैं. डॉ पवार अपने परिवार के पहले डॉक्टर थे. डॉ पवार ने लातूर में महाराष्ट्र आयुर्विज्ञान और अनुसंधान संस्थान (MIMSR) से पांच साल की एमबीबीएस की पढ़ाई की थी. बताया जा रहा है कि राहुल के बड़े भाई सचिन ने उनके डॉक्टर बनने में मदद करने के लिए दसवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी. ताकि बचे हुए पैसे से राहुल की शिक्षा पूरी करने मदद कर सके.
अप्रैल में अपनी परीक्षा खत्म करने के तुरंत बाद युवा डॉक्टर राहुल पवार अपने गांव वापस चले गए. लक्षण दिखने के बाद उन्हें 26 अप्रैल को बीड जिले के मजलगांव के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इसके बाद, उनकी हालत बिगड़ गई. जिसके बाद उन्हें मई की शुरुआत में औरंगाबाद के एमजीएम मेडिकल कॉलेज और अस्पताल ले जाया गया.
तब तक राहुल के इलाज में परिवार की सारी जमा पूंजी खत्म हो गई थी. इसके बाद दोस्तों ने 20 मई को पैसा जुटाने के लिए सोशल मीडिया पर एक अभियान शुरू किया, जिसमें कई लोगों ने मदद की. इस कदम ने अधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया और चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने भी उनके इलाज का खर्चा उठाने की घोषणा की. लेकिन राहुल हालत खराब होती गई. उन्हें मैकेनिकल वेंटिलेटर पर रखा गया था. कोविड के अलावा, युवा डॉक्टर ब्लैक फंगस (म्यूकोर्मिकोसिस) से भी पीड़ित थे. आखिरकार उन्हें नहीं बचाया जा सका और बुधवार शाम उन्होंने अंतिम सांस ली.

jantaserishta.com
Next Story